हमें कैसे पता चला प्रकाश की गति के बारे में ? | HOW DID WE FIND ABOUT SPEED OF LIGHT
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
28
श्रेणी :
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अशोक गुप्ता - ASHOK GUPTA
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आइज़क एसिमोव -Isaac Asimov
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)फिर भी माइकल्सन संतुष्ट न था. उसने सोचा कि प्रकाश की किरण को वायु में भेजने से उसकी गति
अवश्य थोड़ी कम हो जाती होगी क्योंकि हवा का अपवर्तनांक (रिफ्रेक्टिव इंडेक्स) बहुत कम ही सही पर
कुछ तो है. अतः प्रकाश की सही गति नापने के लिये उसे शून्य (वैक्यूम) से गुजारना चाहिये.
रोइमर और ब्रैडली अंतरिक्ष में प्रकाश का अध्ययन कर चुके थे. अतः वे शून्य में प्रकाश के अध्ययन से
परिचित थे. उनके नापने के तरीकों में इतनी कमियां थीं कि उन्हें शून्य में प्रकाश की गति नापने का
कोई लाभ न हुआ.
फीजो, फूको और माइकल्सन ने प्रकाश की गति नापने के बहुत सूक्ष्म तरीकों का विकास किया. परन्तु
उन्होंने हमेशा प्रकाश की गति हवा में ही नापी. माइकल्सन ने निश्चय किया कि वह इन तरीकों का
उपयोग कर प्रकाश की गति शून्य में नापेगा.
माइकल्सन ने एक लम्बी ट्यूब ली जिसकी लम्बाई उसे एक दम ठीक-ठीक मालूम थी. उस ट्यूब से
जितनी हो सकी उतनी हवा उसने निकाल दी. शेष रह गया शून्य.
ट्यूब के अंदर उसने कई दर्पण लगाये जिससे प्रकाश की किरण एक दूसरे से प्रतिबिम्बित (रिफ्लेक्ट)
होकर १०-मील चल ले. मृत्यु से पहले उसने इस प्रयोग को कई बार दोहराया और प्रकाश की गति नापी.
माइकल्सन के साथ काम कर रहे वैज्ञानिकों ने, माइकल्सन की मृत्यु के दो साल बाद, उसकी गणनाएँ
पूरी कीं और १९३३ में प्रकाश की गति की घोषणा की - १८६,२७१ मील प्रति सैकिण्ड. यह अभी तक
प्राप्त गति की तुलना में सही गति के सबसे ज्यादा करीब थी -- सिर्फ ११ १/२ मील प्रति सैकिण्ड कम.
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