हमें डी एन ए के बारे में कैसे पता चला ? | HOW DID WE KNOW ABOUT DNA?

HOW DID WE KNOW ABOUT DNA? by अरविन्द गुप्ता - Arvind Guptaआइज़क एसिमोव -ISAAC ASIMOV

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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इसके लिए सबसे पहले वैज्ञानिकों को बिना सेल के शुद्ध वायरस की जरूरत थी। वायरस किस पदार्थ का बना है भला उसका ज्ञान उन्हें केसे होता? शुद्ध वायरस के सैंपिल सबसे पहले अमरीकी बायोकेमिस्ट वेंडल मेरिडिथ स्टैनले (1904-1971) ने खोजे। वो टोबेको (तम्बाखू) मोजेक वायरस का अध्ययन कर रहा था। यह वायरस -बाखू के पौधों में बीमारी पैदा करते हैं। 1935 में वायरस लगी कुचली हुई तम्बाख की पत्तियों में उसे सुई जैसे क्रिस्टल मिले। यह क्रिस्टल जो तम्बाखू के शुद्ध वायरस के सैंपिल थे केवल प्रोटींस के बने थे। उसके बाद से जितने भी अन्य वायरसों का परीक्षण हुआ हे वे सभी प्रोटींस के बने मिले हैं। इस शोधकार्य के लिए 1948 में स्टेनले को केमिस्ट्री का नोबेल पुरुस्कार पर जल्द ही समझ में आया कि वायरस में प्रोटीन्‍्स के अलावा भी बहुत कुछ था। 1937 में ब्रिटिश जीवशास्त्री फ्रेडरिच चार्ल्स बावडिन (जन्म 1908) ने पता किया कि टोबेको (तम्बाखू) मोजेक वायरस में प्रोटीन के अलावा रा» भी होते हैं। उसके बाद यह भी निकल कर आया है कि सभी वायसरसों में न्यूक्लिक-एसिड भी होते हैं। सरल वायरसों में केवल 1२५० होते हें परन्तु जटिल वायरसों में न्यूक्लिक-एसिड भी होते हैं। आप वायरस को ऐसे मुक्त क्रोमोसोम जेसे सोच सकते हैं जो सेल का हिस्सा न हो। जब वायरस किसी सेल पर आक्रमण करता है तो सबसे पहले वो सेल के खुद के क्रोमोसोम्स पर कब्जा करता हे। क्रोमोसोम्स और वायरस किस प्रकार वंशानुक्रम को नियंत्रित करते हैं और सेल की रोजमर्रा की दिनचर्या केसे चलाते हं? क्योंकि सभी क्रोमोसोम्स और वायरस, 19५५७ ओर 9 कट -5+ आफ २ टोबेको (तम्बाखू) मोजेक वायरस रा




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