झारखंड की नवनिर्माण - घोषणा पत्र | JHARKHAND KA NAVNIRMAN - GHOSHNAPATRA

JHARKHAND KA NAVNIRMAN - GHOSHNAPATRA by अरविन्द गुप्ता - Arvind Guptaसीताराम शास्त्री -SITARAM SHASTRY

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सीताराम शास्त्री -SITARAM SHASTRY

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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झारखंड के नवनिर्माण के लिये झारखंडी जनता का (एक मसविदा) 1 5. वर 2000 को झारखंड राज्य का गठन हो गया है। हम झारखंडियो की दीर्घकालीन मनोकामना एक हद तक पूरी हुई। अभी तो सिर्फ झारखंड के बिहार वाले हिस्से को लेकर प्रांत बना है। पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और मध्य प्रदेश (अब छत्तीसगढ़) में स्थित झारखंड के हिस्सों को नवगठित झारखंड राज्य में शामिल करना बाकी है। फिर भी आंशिक राज्य का गठन भी एक बड़ी उपलब्धि है और बड़ी खुशी की बात है। झारखंडी अस्मिता को .संवैधानिक मान्यता मिली है। इससे हमारा आत्मसम्मान और आत्मविश्वास बढ़ा है। अब हम और भी दृढ़ कदमों से झारखंड के नवनिर्माण के लिये आगे बढ़ेगे। झारखंड के बाकी सभी हिस्सों को झारखंड में शामिल करने का संघर्ष जारी रखते हुए हमें झारखंड के नवनिर्माण के महायज्ञ में जुट जाना है। वैसे इस नवनिर्माण की प्रक्रिया में भी हमें बहुत सारे संघर्ष करने होंगे। झारखंड का नवनिर्माण एक नये प्रकार के निर्माण से होगा। अब तक झारखंड का जो निर्माण या विकास हुआ वह निर्माण कम और विनाश ज्यादा हुआ है। झारखंड में साम्राज्यवादी-पूंजीवादी पूंजी के प्रवेश के साथ, पिछले लगभग २०० वर्षों में व्यवसाय के हित में झारखंड के जंगलों को आरक्षित किया गया और जंगलों में बसे हुए आदिवासियों के सैकड़ों गांव उजाड़ दिये गये। खनिजों के खनन के लिये बड़े पैमाने पर झारखंडियों की जमीनों पर दखल किया गया जिससे लाखों झारखंडी विस्थापित हुए। बहुत सारे कारखाने और शहर बने, सड़कें और रेल-लाईनें बिछाई गयीं और लाखों लोग उजड़ गये। झारखंड से लाखों की संख्या में लोगों का पलायन




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