गौंरमोहन | GOUNRAMOHAN
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
14 MB
कुल पष्ठ :
486
श्रेणी :
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पुस्तक समूह - Pustak Samuh
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रवीन्द्रनाथ टैगोर - Ravindranath Tagore
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)गोरम।हन । ११
आर उसकी बनावट उसके हृदय-पट पर अ्डित हा गई ।
इसके बाद उसने रुपया-सहित वह लिफाफा बड़े यत्न से
बकक्स कं भीतर बन्द करके रख दिया। यह रुपया समय
आग पड़ने पर भी खच किया जायगा, इसकी संभावना न रही ।
[२ |]
वर्षो ऋतु की साक होते न होते आकाश अन्धकार से
भर गया है। चार आर मंत्र का साम्राज्य दिखाई दे रहा
हैं। निःशव्द धन घटा के नीचे कलकत्ता शहर एक बहुत
बड़े उदासीन कुत्ते की भाति एँछ क॑ भीतर मुँह को छिपा,
कुण्डली सी मार, चुप है। पड़ा है। कल्न साक से टिप
टिप कर कुछ पानी बरस गया है, जिससे सड़क की धूल
कीचड़ बन गई है । किन्तु इतनी ब्ृष्टि नहीं हुई है, जा कीचड़
का था बहा कर सड़क का साफ कर दे । आज दिन के
पिछले पहर से पानी बरसना बन्द है; किन्तु बादल के रह
ढड़ से मालूम हाता है कि कुछ ही देर में ज्ञार शोर की
ब्षों होगी । एऐसे सुहावन समय में सॉभ्त को जब सूने धर
क॑ भीतर जी नहों लगता और बाहर घूमने की भी इच्छा नहों
हाती, तब अमीर लोग अकसर छत के ऊपर जा बेठते हैं ।
ठीक ऐसी अबस्था मे दा नवयुवक एक तिमहले मकान की
भीगी छत क॑ ऊपर बंत के मसोढों पर बैठे हैं ।
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