आज भी खरे हैं तालाब | AAJ BHI KHARE HAIN TALAAB
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
109
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)“ ऊुंसर सागर के
नायक 7
कोन थे अनाम लोग?
सैंकड़ों, हज़ारों तालाब अचानक शून्य से प्रकट नहीं हुए थे। इनके
पीछे एक इकाई थी बनवाने वालों की, तो दहाई थी बनाने बालों की।
यह इकाई, दहाई मिलकर सैंकड़ा हजार बनती थी। लेकिन पिछले २००
बरसों में नए किस्म की थोड़ी-सी पढ़ाई पढ़ गए समाज ने इस इकाई,
दहाई, सैंकड़ा, हज़ार को शून्य ही बना दिया। इस नए समाज के मन में
इतनी भी उत्सुकता नहीं बची कि उससे पहले के दौर में इतने सारे तालाब
भला कौन बनाता था। उसने इस तरह के काम को करने के लिए जो
नया ढांचा खड़ा किया है, आई.आई.टी. का, सिंविल इंजीनियरिंग का, उस
पैमाने से, उस गज से भी उसने पहले हो चुके इस काम को नापने की
कोई कोशिश नहीं को।
| वह अपने गज से भी नापता तो कम से कम उसके मन में ऐसे सवाल
तो उठते कि उस दौर की आई.आई.टी. कहां थी? कौन थे उसके निर्देशक?
कितना बजट था, कितने सिविल इंजीनियर निकलते थे? लेकिन उसने इस
सब को गए ज़माने का गया, बीता काम माना और पानी के प्रश्न को
नए ढंग से हल करने का वायदा भी किया और दावा भी। गांवों, कस्मबों
को तो कौन कहे, बड़े शहरों के नलों में चाहे जब बहने वाला सनन््माटा
इस बायदे ओर दावे पर सबसे मुखर टिप्पणी है। इस समय के समाज
के दावों को इसी समय के गज से नापें तो कभी दाबे छोटे पड़ते हें तो
कभी गज ही छोटा निकल आता है।
इस गज को अभी यहीं छोड़ें और थोड़ा पीछे लौटें। आज जो अनाम
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