दान्को का जलता हुआ हृदय | DANKO KA JALTA HUA HRIDAY

DANKO KA JALTA HUA HRIDAY by अरविन्द गुप्ता - Arvind Guptaमेक्सिम गोर्की - MAXIM GORKY

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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“बहुत, बहुत पहले एक जाति थी। वह जिस जगह रहती थी उसक तीन ओर अगम्य जंगल छाये थे ओर चोथी ओर घास के मैदान फेले थे। इस जाति के लोग तगडे, बहादुर और खुशमिजाज थे। लेकिन बुरे दिनों ने उन्हें आ घेरा। अन्य जातियों का वहाँ धावा हुआ और उन्होंने उनको जंगल की गहराइयों में खदेड़ दिया। जंगल अंधकार में डूबा हुआ और दलदली था। कारण कि वह बहुत पुराना था और पेड़ों की शाखाएँ ऐसे कसकर एक दूसरी के साथ गँथी थी कि आकाश की शक्ल तक नजर नहीं आती थी ओर घनी हरियाली को चीरकर दलदल तक पहुँचने में सूरज की किरणों की सारी शक्ति चुक जाती थी। लेकिन जब वे उस पानी तक पहुँचती थी, तो विषेली गन्ध उठने लगती थी, जिससे लोग मरने लगते थे। '“तब उस जाति की स्त्रियाँ और बच्चे रोने-पीटने लगे और पुरुष चिन्ता में इत दानको का जलता हुआ हृदय




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