स्वार्थी राक्षस | THE SELFISH GIANT
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
155 KB
कुल पष्ठ :
8
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)बची | उन्होंने सड़क पर खेलने की कोशिश की परंतु सड़क पर
उड़ती धूल और नुकीले पत्थरों से वह जल्द ही तंग आ गए।
बच्चे पढ़ाई खत्म होने के बाद उस ऊंची चारदीवारी का चक्कर
लगाते और उसके अंदर स्थित सुंदर बाग की बातें करते रहते
““हम लोग बाग में कितने खुश थे, '' वह एक दूसरे से कहते।
“तभी वसंत का मौसम आया और सभी जगह छोटे-छोटे फूल
खिलने लगे और नन््ही-नन््ही चिड़िए चहकने लगीं | केवल उस
स्वार्थी राक्षस के बाग में अभी भी जाड़ा था। उस बाग में क्योंकि
बच्चे नहीं थे इसलिए वहां पर चिड़ियों ने चहकना बंद कर दिया
और कलियों ने खिलना छोड़ दिया | एक खूबसूरत फूल ने मिट्टी
से बाहर अपना सिर ज़रूर निकाला, पर जब उसने नोटिस देखा
तो उसे बच्चों के प्रति इतनी दया आई कि वह दुबारा मिट्टी की
चादर ओढ़ कर सो गया।
अगर खुश थे तो सिर्फ दो लोग--बर्फ और सर्द हवा।
““वसंत तो इस बाग में आना ही भूल गया है इसलिए हम दोनों
का
ही यहां पर पूरे साल डेरा जमायेंगे ।'” बर्फ की दूधिया चादर ने
घास को पूरी तरह ढंक दिया था और सर्द हवा के झोंकों से पेड़ों
की हड़ियां कांप रही थी । “कितनी मस्त जगह है यह, '' हवा ने
कहा, “हमें ओलों को भी बुलाना चाहिए ।'' फिर क्या था, हर
रोज तीन घंटे मोटे-मोटे ओले बरसते। ओलों ने महल की छत
के सभी स्लेट-पत्थरों को तोड़ डाला।
““कुछ समझ में नहीं आता कि वसंत अब तक क्यों नहीं
आया, '' स्वार्थी राक्षस ने खिड़की के बाहर अपने ठंडे-सफेद
बाग को देख कर कहा, “मुझे उम्मीद है कि जल्दी ही मौसम
बदलेगा!
परंतु न तो कभी वसंत आया और न ही आई गर्मी । पतझड़
में बाकी सभी बागों में सुनहरे रसीले फल लगे, परंतु राक्षस के
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