कनुप्रिया | KANUPRIYA
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
79
श्रेणी :
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धर्मवीर भारती - Dharmvir Bharati
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)चोथा गीत
यह जो दोपहर के सन्नाटे में
यमुना के इस निर्जत घाट पर अपने सारे वस्द्र
किनारे रख
मै घण्टों जल में निहारती हूँ
क्या तुम समझते हो कि मैं
इस भाँति अपने को देखती हूँ ?
नही मेरे सॉवरे !
यमुना के नीले जल में
मेरा यह वेतसलता-सा कॉपता तन-बिम्ब,
और उसके चारों ओर साँवली गहराई का अथाह प्रसार,
जानते हो कैसा लगता है---
मानो यह यमुना की साँवली गहराई नही है
यह तुम हो जो सारे आवरण दूर कर
मुझे चारों ओर से कण-कण रोम-रोम
अपने श्यामल प्रगाढ़ अथाह आलिगन में पोर-पोर
कसे हुए हो !
यह क्या तुम समझते हो
धण्टों--जल में--मैं अपने को निहारती ह
नहीं मेरे साँवरे !
कनुप्रिया / १६
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