गेंद निराली मीठू की | GEND NIRALI MEETHU KEE POEMS - BGVS

GEND NIRALI MEETHU KEE POEMS - BGVS by अरविन्द गुप्ता - Arvind Guptaराजेश जोशी - Rajesh Joshi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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आकर नद्‌दी प्यास बुझाई धरती सींची आग बुझाई लगा धूप के पंख रूपहले नील गगन में दोड़ा। के. सजा क है % ७ ५ «की ब कि




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