सी० वी० रमन | C. V. RAMAN

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मैरी जोसफ़ -MARY JOSEPH

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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के लिए गोरव की बात थी। रामन भारत के सर्वप्रथम वैज्ञानिक थे जिन्हें यह नोबल पुरस्कार प्रदान किया गया। इस समाचार के कारण सारे देश में खुशी की लहर दौड़ गई। स्वयं रामन को भी बहुत खुशी हुई । आखिरकार उन्होंने भारत का नाम ऊंचा किया ओर उसे समाचारों में स्थान दिलाया । अंततः विदेशियों ने भी भारतीय वैज्ञानिकों की बुद्धिमता और विद्वता को पहचाना । लेकिन रामन के लिए यह अनुसंधान यात्रा की अंतिम कड़ी थी। उन्हें अन्य अनेक कार्य करने थे। लेकिन उन्हें यह टृढ़ विश्वास ता कि उन्हें नोबल पुरस्कार मिलेगा । आप यह विश्वास करो या न करो, लेकिन यह सत्य है कि इस पुरस्कार की घोषणा के दो माह पूर्व ही उन्होंने स्टाकहोम की यात्रा करने के लिए अपना जलमार्ग का टिकिट आरक्षित करा लिया था। .._ रामन बहुत हंसमुख व्यक्ति थे। वास्तव में उन्हें यह कहने में हमेशा गर्व का अनुभव होता था कि वह एक पेशेवर भौतिकशास्त्री होने के साथ-साथ पेशेवर मज़ाकिया भी हैं । स्टाकहोम से नोबल पुरस्कार लेकर लौटते वक्त 32 वह फ्रास में रुके, जहां उन्हें एक समारोह में निमंत्रित किया गया था। यहां मदिरा पानी की तरह बह रही थी। जब मेज़बान ने जब यह पाया कि रामन मदिरा पान नहीं कर रहे हैं तब उन्होंने कहा, “माननीय श्रीमान्‌, आप हमारी मदिरा का स्वाद क्‍यों नहीं ले रहे हैं?” रामन मदिरापान नहीं करते थे। इसलिए उन्होंने मज़ाकिया ढंग से कहा, “आहे ! आप मुश्य (रामन) पर होने वालो 'मदिरा प्रभाव” को देखकर मेरे अनुसंधान कार्य 'रामन प्रभाव” की, खुशी मनाना चाहते हैं ।” 33




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