नन्ही राजकुमारी और चन्द्रमा | NANHI RAJKUMARI AUR CHANDRAMA

Book Image : नन्ही राजकुमारी और चन्द्रमा  - NANHI RAJKUMARI AUR CHANDRAMA

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जेम्स थर्बर -JAMES THURBER

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पुस्तक समूह - Pustak Samuh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मुख्य वज़ीर ने रुमाल से माथे का पसीना पोंछा और इसके बाद ज़ोर से नाक सिनकी। “मैंने आज तक आपके लिए बहुत चीज़ें जुटाई हैं महाराज, “'वज़ीर बोला। ''इत्तफाक से मेरे पास उन सभी चीज़ों की सूची मौज़ूद है जो मैंने आपके लिए जमा की हैं।'” उसने अपनी जेब से लंबा चर्मपत्र निकाला। “ज़रा देखूं।! उसने माथा सिकोड़ कर पढ़ना शुरु किया, “मैं अब तक ला चुका हूं - हाथी दांत, लंगूर, मोर, मानिक, दूधिया, पन्ना, गुलाबी हाथी, नीले कुत्ते, सुनहरे कीड़े, तुणमणि की बनी मक्खियां, गाने वाली चिड़ियों की जीभें, फरिश्तों के पंख, यूनिकार्न के सींग, बौने राक्षस, मतस्य कन्याएं, लोबान, अम्बर, गन्धरस, चारण, नर्तकियां, एक पाव मक्खन, दो दर्ज़ अण्डे और एक बोरा शक्कर - मुआफ कीजिए यह तो मेरी पत्नी ने यहां लिख दिया है।'' “मुझे नीले कुत्ते तो याद नहीं हैं, '' राजा ने कहा। “नहीं सूची में तो हैं नीले कुत्ते और उनके ऊपर यह निशान भी लगा है कि वे आए हैं, '' मुख्य वज़ीर बोला। “छोड़ो नीले कुत्तों की बात, '' राजा ने कहा, “इस समय तो मुझे चंद्रमा की ज़रूरत है।'' “मैंने समरकन्द, अरब के ज़न्ज़ीबार से आपके लिए चीज़ें मंगाई हैं महाराज, '' मुख्य वज़ीर बोला, “लेकिन चंद्रमा ला सकने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता। चंद्रमा 35,000 मील दूर है और राजकुमारी के कमरे से बड़ा है। अलावा इसके वह पिघले तांबे का बना हुआ है। नहीं महाराज, में आपके लिए चंद्रमा नहीं ला सकता। नीले कुत्ते बेशक, लेकिन चांद तो बिल्कुल नहीं।'' राजा को मुख्य वज़ीर की बात सुनकर बहुत गुस्सा आया। उसने वज़ीर को कमरे से निकाल दिया और उससे कहा कि वह शाही जादूगर को भेज दे।




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