हमें कैसे पता चला लेज़र्स के बारे में ? | HOW DID WE KNOW ABOUT LASERS
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
26
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
आइज़क एसिमोव -Isaac Asimov
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पुस्तक समूह - Pustak Samuh
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अगर शुक्र गृह की सतह समतल न होकर उस पर पर्वत या खाइयाँ हों तो उसका असर भी टकराकर
वापस लौटती हुई माइक्रोवेव पर पड़ेगा. माइक्रोवेव किरण का उपयोग कर शुक्र गृह की सतह पर उऊबड़-
खाबड़ जगहों का पता त्रगाया गया. १९७८ में शुक्र गृह का चक्कर लगाने वाले एक अनुसन्धान यंत्र से
माइक्रोवेव का प्रयोग कर शुक्र गृह की सतह का मानचित्र भी बना लिया गया.
माइक्रोवेव किरण शुक्र गृह से भी दूर पहुँच चुकी है. उन्होंने छू त्रिया है बुद्ध (४९७४1०८५॥५) गृह, मंगल
(४४४9) गृह, सूर्य गृह, बृहस्पति (2५.४) गृह को भी. १९८९ में टाइटन से टकराकर वापस आने वाली
माइक्रोवेव का भी पता चला है. टाइटन, शनि (58017) गृह का एक बड़ा उपगृह (581९॥6) है. इसकी
दूरी पृथ्वी से शुक्र गृह की दूरी से ३५-गुना है जबकि शुक्र गृह पृथ्वी के सबसे पास है.
एक माइक्रोवेव किरण को टाइटन पर फेंका गया जो बादलों को पार करता हुआ २ ४४ घंटों में वापस
पृथ्वी पर लौट कर आयी और हमें टाइटन की सतह के बारे में पता लगा. ऐसा तीन बार अलग-अलग
दिन किया गया. चूंकि उपगृह घूम रहा है, हमें टाइटन की सतह के विभिन्न हिस्सों की सूचना मित्र
सकी. पहले और तीसरे दिन मिली माइक्रोवेव किरण बहुत कमजोर थीं जैसे कि वो किसी द्ृव्य से
टकराकर लौटी हों. परन्तु दूसरे दिन वह काफी शक्तिशाली थीं जैसे कि वो किसी ठोस पदार्थ टकराकर
वापस आयीं हों. ऐसा लगता है टाइटन पर पृथ्वी की तरह समुद्र और महाद्वीप हैं. पर इतना जरूर है कि
टाइटन और पृथ्वी के समुद्र और महाद्वीप जिन पदार्थों के बने हैं वो एक दूसरे से बहुत अलग होंगे.
४. लेज़र्स
अगर आप एक जैसी वेव-ेंग्थ के मेजर बना सकते हैं जो माइक्रोवेव बीम (किरण) पैदा कर सकते हैं तो
विद्युत-चुम्बकीय विकिरण की किरणें क्यों नहीं बना सकते जो कि माइक्रोवेव नहीं हैं? अगर ऐसे पदार्थ
चुने जायें जिनमें ऊर्जा के स्तर एक दूसरे से काफी दूर हों तो आप शक्तिशाली विकिरण पैदा करने में
सफल हो सकते हैं. ऐसे विकिरण की वेक-लेंग्थ बहुत कम होगी. इस तरह इंफ्रा-रेड बीम और यहाँ तक
कि साधारण प्रकाश के बीम भी पैदा किये जा सकते हैं.
टाउनेस इस बारे में १९५८ में ही सोच रहा था कि ऐसा कौन सा पदार्थ इस्तेमाल किया जाय जो
माइक्रोवेव के बजाय साधारण प्रकाश का बीम पैदा कर सके. प्रकाश पैदा करने वाले मेजर को प्रकाशीय-
मेजर कहा जा सकता है.
परन्तु वैज्ञानिकों ने इसे दूसरा ही नाम दिया. उन्होंने माइक्रोवेव बीम की बजाय प्रकाश के बीम को लेज़र
कहा (प्रकाश का विस्तार विकिरण के उत्तेजित उत्सर्जन द्वारा. 10587 + [दा #॥[08ा०णा 0५
जञागप।व866 हग589ं01 ०ए रि०धीं101).
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