एशिया का आधुनिक इतिहास भाग 1 | Asia Ka Aadhunik Itihas Bhag 1

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Asia Ka Aadhunik Itihas Bhag 1 by सत्यकेतु विद्यालंकार - SatyaKetu Vidyalankar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्रारस्थिक दाब्द श्ड् गें प्रकट करता हैँ। इसमें सन्देहू नहीं कि इतिहासकार की यही रूकष्य अपने सम्मुख रखना चाहिये । ऐतिहासिक का कार्य यहीं है कि बहू सब घटनाओं को उनसे यथा रूप में अभिव्यक्त करे अपने विचारों और सम्मतियों को बहू इतिहास सिखेते हुए सामने न लाने 1 घटनाओं के यधथार्थरूप से सिरुपण दवा वह पाठकों को यह अवसर दे कि वे स्वयं अपनी संम्मति बना राके । ऐतिहासिक के लिये यह आदंशे निस्सन्देह अत्यन्त उच्च हैँ पर इसे क्रिया में परिणत कर सकता सुगम नहीं है। चिंशेषतयां आधुनिक इतिहास को लिखते हुए किसी भी ऐतिहासिक के लिये यह सुगम नहीं होता कि वह अपने थिचारों व मत को भुछाकर घटनाओं के यथाथ॑ रूप को पाठकों के संम्मूख रख सके । वर्तमान युग विधारधाराओं के संघर्ष का सुग है। वैयन्तिक सम्पत्ति पर आश्रित लोकतत्न्रवाद जौर समाजवद के पारस्परिक संघर्ष के कारण इतिहासलेखक के लिये निष्पक्ष रहकर घटनाओं का यथा्थरूप से चिरूपण कर सकना और भी अधिक बाठित हो गया है । दक्षिण-पुर्वी एशिया पर वुछ समय के लिये जापान ने अपनो प्रभुरव स्थापित कर छिया इस घटना का बृत्तान्त यूरोप के साम्ाज्यवही देशों के ऐतिहासिक इस ढंग से लिखते हैं जैसे कि जापान इस क्षेत्र के जोगों वे स्वाधीन जीवन का अन्त कर उन्हें अपना गुलाम वे बशावर्ती बचाने के लिये प्रयत्सशीरू था। जिन लोगों को जापान के उत्कर्ष के कारण पाश्वात्य साजाज्यवाद में छुटवारा पाने का अवसर मिला वे इस घटना के सम्बन्ध में दुसरा ही दुष्टिफोण रखते हैं । आधुनिक इतिहास पर लिखे हुए विविध ग्रन्थों को पढ़िये सनमें आपको भारी मतभेद दुष्टिगोचर होगा । रूस व चीन के वम्युनिस्ट रेखक एक पटना को किस ढंग से छिखते हैं अमेश्का व॑ ब्रिटेन के ऐतिहासिक उसे सर्वथा शिन्नरूप से प्रततिपादित करते हैं। इस दशा में सिंष्पक्ष ऐतिहासिक का कार्य और भी अधिक कठिन हो जाता है । मंने इस बात का अथरन किया है कि इस पुस्तक में प्रत्येक घटना को निष्पक्ष रूप से प्रलिपादित करूँ अपने विचारों को कहीं प्रकार ने होने दूं । एशिया के आधुनिक इतिहास के सम्बन्ध में में भी अपने विचार रखता हूँ संमाजवाद और छोकतस्थवाद जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर मेरे कोई अपने विचार ने हों सह बात नहीं है । पर मैंने उन विचारों को इस इतिहास से पृथक रखने का प्रयर्त थिया है । मुझे अपने प्रयत्न में कहां तक सफरूता हुई है इसका मिर्णय तो पाठक ही वर सकते हैं । भारत में जमी एशिया के इतिहास के अध्ययन को अधिक महत्व नहीं दिया जाता । यूरोप का इतिहास हमारे विदवविद्यालयों के पाठ्य कम के अत्तर्गत हूँ और शिक्षित लोग शौक से उसका अध्ययन करते हैं । पर संसार की राजनीति में जब एशिया का महत्व सिरन्तर बढ़ता रहा है। चीन भारत इन्डोनीसिया आदि विधिध




User Reviews

  • Varun

    at 2020-02-13 11:36:11
    Rated : 10 out of 10 stars.
    "Good book"
    I was find a book on central asia..i fun this book thanks
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