मानस अनुशीलन | Manas Anuseelan

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Manas Anuseelan by श्री शंभुनारायण चौबे - Shree Shunbhnarayan chaubeसुधाकर पांडेय - Sudhakar Pandey

लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :

श्री शंभुनारायण चौबे - Shree Shunbhnarayan chaube

No Information available about श्री शंभुनारायण चौबे - Shree Shunbhnarayan chaube

Add Infomation AboutShree Shunbhnarayan chaube

सुधाकर पांडेय - Sudhakar Pandey

No Information available about सुधाकर पांडेय - Sudhakar Pandey

Add Infomation AboutSudhakar Pandey

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
ग हुत किया गया । मानस की रचना के कुछ ही दिनों बाद संस्कत संस्करण भी हृथ्रा श्र उसके द्नुकरण पर संस्कृत में रामकाव्य लिखे गए । सारांश यह कि गोस्वामी जी के सक्तिमय मानस से समुदभावित रामचरितसानस को जो प्रतिष्ठा संमान प्रेम और लोकप्रियता श्रत्यंत अ्रल्प काल में मिली _ बह हिंदी बाड़ सय के क्षेत्र में अश्नुतपूव रही | इसी संदर्भ में उस कृति के हस्तलेखों का भी विस्तार इुश्रा । उसके प्रामाणिक शुद्ध श्रौर मूलपाठ की ढूँढ़ खोज की शोर लोगों का व्यान गया । मानस मकतों मानस प्रेमियों श्रौर शोघकों ने मानस के शुद्ध पाठवाले संस्करण के निर्धारण में तन मन से प्रयास किया । अपने श्रपने साधनों की शक्ति और सीमा के श्रनुसार श्रनेक संस्करण प्रकाशित हुए । संस्था के रूप में नागरीप्रचारिणी सभा काशी गीता प्रेस गोरखपुर दि ने मानस के शुद्ध श्र प्रामाणिक संपादन के प्रयास में विशिष्ट योगदान किया । ं .... इस संदर्भ में नागरीप्रचारिणी सभा काशी का योग श्रप्रतिम है । सभा से प्रकाशित मानस के पूर्वसंस्करण भी यद्यपि कम महत्व के नहीं थे तथापि पाठानुसंघान श्र वैज्ञानिक संपादन की दृष्टि से उतने महत्व के नहीं दो सके जितने महत्व का पं० शंमुनारायण चौबे द्वारा संपादित संस्करण हुमा । संवत्‌ १६६५ वि० में प्रकाशित गीता प्रेस का संत्करण भी श्रत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके श्रतिरिक्त डा० माताप्रसाद गुम का संस्करण भी पाठांतर के साथ प्रकाशित हुआ्रा । कहने का सारांश इतना ही है कि मानस के श्रनेक संस्करणु--पाठमेद के साथ श्रथवा यथासंभव शुद्ध पाठवाले--द्रब तक प्रकाशित दो चुके हैं । प्रस्तुत संदर्भ में कथ्य इतना ही है कि मानस के इतने बहुमंख्यक इस्तलेस्व मिल चुके हैं सामान्य गवेषणापूर्ण एवं शोधघात्मक--इतने विविध प्रकार के संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं कि मानस के प्रामाणिक श्रौर शुद्ध पाठ का निर्धारण श्र प्रकाशन अत्यंत जटिल प्रश्न है । श्रपनी श्रपनी दृष्टि श्पने शपने शाखामेद श्र संपादन के श्रपने झपने दृष्टिबिंदुओओओं के विचार से नेक संस्करण का प्रकाशन स्तर निर्विवाद रूप में श्रपना महत्व रखता है । कलमलाालकराकहररपतिमिपलललाससिपिशलिपतिएरिसिलनरपतिपकफाफातिकत बलय उपकलकसतकर लत लकान का रिकसन्यरपफमदिलकवशिकिनकतककाएएगपएएं १ इनका विवरण देखिए --मानस झनुशीलन पूल र८ |




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now