गुप्तकालीन कला का उद्भव एवं विकास | Gupt Kalin Kala Ka Udbhav Yam Vikas

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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6 विष्णु धर्मत्तर पुराण, शिल्प रत्नसार, विश्वकर्मीय प्रकाश । इसके अतिरिक्त अग्नि तथा मत्स्य पुराण, कमिकागम, अंशुभेदागम, सुप्रभेदागमू, रूपमण्डन आदि ग्रन्थ भी वास्तु विधा पर पर्याप्त प्रकाश डालते हैं | भारतीय कला का उदभव एवं विकास : भारतीय कला का इतिहास उतना ही पुराना है जितना कि मानव सभ्यता का। मानव ने जबसे सभ्यता के दहलीज पर पांव रखा, तभी से उसने अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए कला को एक माध्यम के रूप में चुना | इसका प्रमाण हमें मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में स्थित भीमवेटिका की गुफाओं से प्राप्त होता है। इन गुफाओं में मानव द्वारा निर्मित चित्र, मूतियाँ तथा औजार पाये गये हैं जो उनके आश्रय स्थल तथा कला में रुचि का पुख्ता प्रमाण प्रस्तुत करते हैं| हड़प्पा संस्कृति में अत्यन्त परिपक्व कला के दर्शन होते हैं। हड़प्पा संस्कृति के पुरास्थलों के उत्खनन से सुव्यवस्थित नगर योजना के अन्तर्गत दुर्ग निर्माण, रक्षा प्राचीर, पकी हुई ईटों से निर्मित आवासीय भवन, सार्वजनिक निर्माण (वृहत्त स्नानागार, विशाल अन्नागार, सभा भवन), उत्कृष्ट सार्वजनिक जल निकास प्रणाली के प्रमाण प्राप्त होते हैं, जो इस संस्कृति के विकसित वास्तु कला की ओर संकेत करते हैं। इसके अतिरिक्त इस सभ्यता का कलात्मक अनुपम नमूना बहुसंख्यक मुहरों और उन पर बनी हुई सजीव आकृतियों, पत्थर एवं कांस्य की मूर्तियों, सुन्दर आभूषणों, चौंदी एवं कांस्य निर्मित कामदार बर्तनों तथा चित्रकारी ः से युक्त मिट्टी के बर्तनों में देखा जा सकता है। ये विश्व की प्राचीन कलाओं में अपना महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं । सिन्धु सभ्यता के पतन के काल (लगभग 1500 ईसा पूर्व) से लेकर . मौर्य वंश की स्थापना (लगभग 324 ईसा पूर्व) के पूर्व के इस मध्यवर्ती काल में




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