इंगलैंड का शासन और औधोगिक क्रांति | Ingalainda Kaa Shasan Aur Audhogik Kranti

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Ingalainda Kaa Shasan Aur Audhogik Kranti by पं दयाशंकर दुबे - Pt. Dyashankar Dube

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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बादशाइ श्रौर प्रिवी कौं सिल ७ (३) शासन विधान की परिभाषा समभाइये श्रौर भारत के शा सन- विधान का संक्षेप में बणुन की जिये । (४) सरकार के प्रधान श्रज्जों का वणुन कीजिये । इज़लैन्ड को सरकार के प्रधान श्रज्ञों की भारत की सरकार के प्रधान श्रज्जों से तुलना कीजिये । (५) इज्लैन्ड की शातन-पद्धति का मददत्व संक्षेप में समभकाइये । (६) भारतवासियों को इज्जलैन्ड को शासन पद्धति का श्रध्ययन क्यों करना चादिये दूसरा अध्याय बादशाह ओर प्रिवी कॉसिल हम बतला चुके हैं कि शासन के तीन अज्ञ दोते हैं । उसमें बादशाह का प्रधान स्थान रहता है। इस अध्याय में हम इज़- लेंड के बादशाह के अधिकार ्रौर कतंव्यों के सम्बन्ध में विचार करते हैं । बादशाह के पद का झारम्भ--नवीं शताब्दी से पूर्व इडलेंड में बादशाह का पद नहीं था । सारा देश स्वतंत्र सरदारों के द्वाथों में था । प्रत्येक सरदार श्रपने कबीले का प्रधान होता था । इन सरदारों के अधिकार सीमित थे । दरेक जाति या कबीले की एक सभा होती थी । समय समय पर यह सभा श्रपनी जाति का दूसरे कबीले से लड़ना निश्चय करती थी और प्रधान के मरने पर राजपरिवार के व्यक्तियों में से किसी को यह अपना मुखिया निर्वाचित करती थी । उस




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