छूत और अछूत भाग 2 | Chut Aur Achut Bhag 2
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3.74 MB
कुल पष्ठ :
146
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)बुद्ध घम से अछूनताका विचार | १७
उपयक्त चचन म कद्दा हु कि चहां मरुप्य घ्राह्मण चन सकता ६
जिसमें कोई खास गुण हो । इससे स्पष्ट विदित दोगा कि भगवान्
यद्ध जन्मपर से घ्राह्मणत्व मानने के पक्षणाती नहीं थे । चरन् वे
शूुणतः: ब्राह्मणत्व को मानते थ । पहल मद्दाभारतका पक चचन
आ गया है जिस में कहा है कि किसी भी जाति का मनुष्य क्यों
न हो उसमें यदि थे विशेष गण विद्यमान हे तो उसे घ्राह्मण सम-
झना चाहिए । बराघर इसी अथ का यह भगवान् वुद्ध का वचन
है। यह स्पष्ट हे कि जो लोग गुण कमों से ऊंच नीच पहिचानते
है बे किसी भी व्यक्ति को उसकी जाति के कारण अछूत न सम -
झेगे। और भो देखिपए--
आगे लिखे लेखांश से ज्ञात दोगा कि भगवान् बुद्ध को
अन्त्यज-- वहिष्कत जाति या बहिजाति ( 0प-एा्छा: ) के
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