छूत और अछूत भाग 2 | Chut Aur Achut Bhag 2

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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बुद्ध घम से अछूनताका विचार | १७ उपयक्त चचन म कद्दा हु कि चहां मरुप्य घ्राह्मण चन सकता ६ जिसमें कोई खास गुण हो । इससे स्पष्ट विदित दोगा कि भगवान्‌ यद्ध जन्मपर से घ्राह्मणत्व मानने के पक्षणाती नहीं थे । चरन्‌ वे शूुणतः: ब्राह्मणत्व को मानते थ । पहल मद्दाभारतका पक चचन आ गया है जिस में कहा है कि किसी भी जाति का मनुष्य क्यों न हो उसमें यदि थे विशेष गण विद्यमान हे तो उसे घ्राह्मण सम- झना चाहिए । बराघर इसी अथ का यह भगवान्‌ वुद्ध का वचन है। यह स्पष्ट हे कि जो लोग गुण कमों से ऊंच नीच पहिचानते है बे किसी भी व्यक्ति को उसकी जाति के कारण अछूत न सम - झेगे। और भो देखिपए-- आगे लिखे लेखांश से ज्ञात दोगा कि भगवान्‌ बुद्ध को अन्त्यज-- वहिष्कत जाति या बहिजाति ( 0प-एा्छा: ) के विषय में कया घारणा थी - हा िकडुनरराएद तप मठ जपापकाधडधि 11. पता * कराध, ॥िए. ला 0 छी। पुर दोता।ननशिएफ छ0 [९ छणि छिएते छाल नकृण्णएए6े धिएट विएपरुद एच. जि] ाएक,11 |एए0 सो छह विफल 0 का. गीलिएिपद रह 982 पाए0ए छा हि, औैतापे धिएट फृषह650 उधंते- * उधए एल, ऐ डर होपाइ बॉकित निवटाएि, हि जोएवाएसापा, ५00 का तप 0005 « ? पु, छिल्ननल्ते 06. कपृपल्वे: पाठ उन छाए. एप ठप. 222 ( डे हि न 20, ताएन-एवनए पल फरीएद छा फावए वन शताइा हे 11:01 उल818 पन्ाएस्टवेद छीवट छान छावाए व कांटरहपे शत डुफर००पणि एम, 6 फल दा पिवटलन सारा वाद द० दीप] सी पढ०९ॉ0, (8. मर ही




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