गीता का भक्ति योग | Gita Ka Bhakti Yogi
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6.83 MB
कुल पष्ठ :
414
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)॥ श्रीहरि ॥ प्राक्कथन परछतनमदन्थ परत नराकृति । सौन्दर्यसार सर्वस्व चन्दे नन्दात्मज् मदद ॥ प्रपन्नपारिजाताय ... तोस्घ्चेज्नेकपाणये । घानमुद्राय रुग्णाय सीतासूतदुद्दे नम ॥ च्ुंदवखुत _ देव. कसयाणूरमदनम । देवकीपग्मानन्द छण चन्दें जगडुरुम् ॥ बनीविधूपितकसनयनीरदाभाव पीताम्परादरणविस्पफलाधसोछ्ात् । पू्णन्दुसुन्दरमुखादृरविन्दनेत्रात् छाप्णात्पर फिमपि तत्वमह् न जाने ॥ यावधिरजनमज . पुस्प जरन्त सचिन्तयामि निसिले जगति स्फुरन्तम्। नायदू चलात् स्कूरति हन्त शदन्तरेमे गोपस्य कोडपि शिछुरजनपुलमब्जु ॥ श्रीमद्धगनद्वीता एक अप्यन्त पिडश्षण और अलोफिंक ग्रस्य है । चाय वेदोफा सार उपनिपदू ४ और उपनिपदोंफा भी सार श्रीमद्धगपट्वीता दे । यह खय भी ब्रसस्थिका यर्गन होनेसे उपनिपदू- खरूप और श्रीमगगानूफी याणी होनेसे वेद-खरूप है । इसमें खय श्रीमगयानुमे अपने प्रिय सखा अजुनकों अपने हृदयके यूढ़ भाय पिंगेपरूपसे कटे है । जैंसे बेशोम तीन झाण्ड है--फर्मझाण्ट उपासनााण्ड और ज्ञानकाण्ड वैसे ही गीतामें भी तीन कार्ड है | गीताफा पढ़छा षट्फ
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