राजस्थानी गद्य संकलन | Rajasthani Gadya Sankalan

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Rajasthani Gadya Sankalan by कल्याणसिंह शेखावत - Kalyan Singh Shekhawat

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about कल्याणसिंह शेखावत - Kalyan Singh Shekhawat

Add Infomation AboutKalyan Singh Shekhawat

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
गद्य संकलन / 21 सांवश री पूनम ने मनायीजें है। राजस्शान में सांवशा रो मास तिवारां रौ मौड़ जगचाया बसंत री जोड़ | उछाव उछाव में झजोड़ । सांवश मन मावणा शाग रंगां गीौतां री रमझोछ । मूलां-हीडां री हिलोछ प्रिथी र॑ं कश-करण पर हरियाक्ी री बौछ । पण, राजस्थान में बिता सावण रे भी भेक बार राशी रौ त्यूहार मनायोज्यों। भेण-भाई रे इण पुनीत पर रो भावना सु उछाह पाय हिन्दू तीरथ चीतौड़ री राजमाता हाडी करमावती चीतौड़ रक्षा रे सातर दिल्‍ली महल रा पातसाह हुमायू' ने राखी मोकछी । चीतौड़ र॑ गौरव री रक्षा खातर राखी डोरो मेलियौ । मेवाड़ रौ घणी राणराव सांगोजी मालवा मोडव पातसाह ने रणभौम में हराय ने क्षमा दान दियो हो | सागाजी रै पद्दे उणां रो बाछक बेटों राणों विक्रमादीत मेवाड़ मार्थ राज करतो हो । विक्रमादीत ने बालक जांण मात्वा रो धणी बादरसाह भुजराती चीतौड़ पर चढाई कीदी । राजमाता हाडी करमावती 'हाड कटे हाडा हरखावे । गाडो टछ पण हाडो मी टल्े! र॑ कुछ भादर्श रे बिड़द री उजाछ़॒बा थाकह्वी। घशणी' मरदाणी । वीरता रो कहाणी । मेवाड़ री घणियाणी । पत पाणी रखाणी । बादशाह हुमायू' ने चीतौड़ ने माव्दवा रा मद आया मे गल बहादरशाह री टक्कर सू” उबारण खातर राखी मेली ! चीतौड़ रौ कासीद हुमायु' करने गयौ । राखी निजर कीन्ही भ्रर कागद दियो। हुमायू' राती देख ने कागद बांच ने गज नें ग्राह रा फंदा सू' काढुण ने जदुनाथ दौड़िया ज्यू' उतावछो-सों फौज ने त्यारो करण री हुकम दियौ | राजमाता करमावती लिखियो हौ | उण रो म्यानों कवि देवतां थकों कैयो--- कागद लिखियो कोड कर, हुवश हेत हमगीर । बादरियों बद मंडियौ, भ्राव हुमायू बीर॥। द्रंग मांडव माछ॒व धणी, दाबरा मो धर देस | प्राय ऊबारो बीर भर, प्रा रासी है, पेस ।। कागद हुमायू' बाँचियौ । संण रा हिवड़ा रा भाव उरां रे उर उदघ में हिलौरा उठावंण लागा। माँ जायो सहोदरा रे मान नेह रा, ममता रा, मोह रा भाव मचक्बा लागा । हुमायू' कछाई मार्थ कुकम बरणी राखी बांधी ने भापरा पभढ़ारटंकी घनल ने तांरियों ) कवच री कड़ियां सणखणी । नौवतां माथे डंडां री चोटां पड़ी । नद नाग झमरां है हिये दहल पडी। घोड़ां रो टार्पा रो दड़बड़ों ऊठी । अंबर में खेह उडो । मुल्ला मौलवी बाबर सांगा री प्रदावट री वात फैय ने हुमायु' ने बहकायो पण मोद्झी र॑ काचा तारां री कलश साओ धजसात 52 अर पशसाया० कु पर पे ५०७ अध्याय +




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now