राजस्थानी गद्य संकलन | Rajasthani Gadya Sankalan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
121
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)गद्य संकलन / 21
सांवश री पूनम ने मनायीजें है। राजस्शान में सांवशा रो मास तिवारां रौ
मौड़ जगचाया बसंत री जोड़ | उछाव उछाव में झजोड़ । सांवश मन मावणा
शाग रंगां गीौतां री रमझोछ । मूलां-हीडां री हिलोछ प्रिथी र॑ं कश-करण पर
हरियाक्ी री बौछ । पण, राजस्थान में बिता सावण रे भी भेक बार राशी
रौ त्यूहार मनायोज्यों। भेण-भाई रे इण पुनीत पर रो भावना सु उछाह
पाय हिन्दू तीरथ चीतौड़ री राजमाता हाडी करमावती चीतौड़ रक्षा रे
सातर दिल्ली महल रा पातसाह हुमायू' ने राखी मोकछी । चीतौड़ र॑ गौरव
री रक्षा खातर राखी डोरो मेलियौ । मेवाड़ रौ घणी राणराव सांगोजी
मालवा मोडव पातसाह ने रणभौम में हराय ने क्षमा दान दियो हो | सागाजी
रै पद्दे उणां रो बाछक बेटों राणों विक्रमादीत मेवाड़ मार्थ राज करतो हो ।
विक्रमादीत ने बालक जांण मात्वा रो धणी बादरसाह भुजराती चीतौड़ पर
चढाई कीदी । राजमाता हाडी करमावती 'हाड कटे हाडा हरखावे । गाडो
टछ पण हाडो मी टल्े! र॑ कुछ भादर्श रे बिड़द री उजाछ़॒बा थाकह्वी। घशणी'
मरदाणी । वीरता रो कहाणी । मेवाड़ री घणियाणी । पत पाणी रखाणी ।
बादशाह हुमायू' ने चीतौड़ ने माव्दवा रा मद आया मे गल बहादरशाह री
टक्कर सू” उबारण खातर राखी मेली ! चीतौड़ रौ कासीद हुमायु' करने गयौ ।
राखी निजर कीन्ही भ्रर कागद दियो। हुमायू' राती देख ने कागद बांच ने
गज नें ग्राह रा फंदा सू' काढुण ने जदुनाथ दौड़िया ज्यू' उतावछो-सों फौज
ने त्यारो करण री हुकम दियौ | राजमाता करमावती लिखियो हौ | उण रो
म्यानों कवि देवतां थकों कैयो---
कागद लिखियो कोड कर, हुवश हेत हमगीर ।
बादरियों बद मंडियौ, भ्राव हुमायू बीर॥।
द्रंग मांडव माछ॒व धणी, दाबरा मो धर देस |
प्राय ऊबारो बीर भर, प्रा रासी है, पेस ।।
कागद हुमायू' बाँचियौ । संण रा हिवड़ा रा भाव उरां रे उर उदघ में
हिलौरा उठावंण लागा। माँ जायो सहोदरा रे मान नेह रा, ममता रा, मोह
रा भाव मचक्बा लागा । हुमायू' कछाई मार्थ कुकम बरणी राखी बांधी ने
भापरा पभढ़ारटंकी घनल ने तांरियों ) कवच री कड़ियां सणखणी । नौवतां
माथे डंडां री चोटां पड़ी । नद नाग झमरां है हिये दहल पडी। घोड़ां रो
टार्पा रो दड़बड़ों ऊठी । अंबर में खेह उडो । मुल्ला मौलवी बाबर सांगा री
प्रदावट री वात फैय ने हुमायु' ने बहकायो पण मोद्झी र॑ काचा तारां री
कलश साओ धजसात 52 अर पशसाया० कु पर पे ५०७ अध्याय
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