ब्रह्मसूत्रम | Brahmasutram
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
25 MB
कुल पष्ठ :
968
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
Ved Vyas was a great and known poet during time of Mahabharat. He was the son of Satyawati and also was a step son of King Shantanu of Hastinapur. He wrote the book Mahabharata in which he told about the great war which happened almost 5000 years ago from now. He was also the writer of Shiva Purana and Vishnu Purana which were very important books in Hinduism. He was given the degree of Ved Vyasa.
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)[ २३ ]
* विपय
तृतीय अध्यायका आरम्भ ज ४
तदन्तरमतिपत्मनपिकरण ॥१।११-७ [ पृ० १६२१-१६४६ ]
सृतीय अध्यायऊे प्रथमपादक प्रथम अधिएरणफा सार
गूत्र--तदन्तरप्रतिप्ता० ३१1११ तु
द्वितीय अध्यायके वृत्तया अनुवाद कर दृतीय धध्यायके विपयका
संक्तेपत: फथन. ...
देहके वीजभूत भूतसूल्मोंसे जीव भपरिवेष्टित जाता है [पूर्वपक्ष]
भूचसूक्ष्मोंसे परिवेष्टित दी जीव जाता दै [सिद्धान्त]...
सूत्र --ख्यात्मकत्वात्त भूयस्वात् ३।१॥१॥२ रुके
जल च्यात्मक है न 2०
सूत्त--प्राणगते ३१११३ डड हि
प्राणफी गति 'आश्रयके निना नहीं दती ... 2०४
सूत--अग्स्यादिगतिशुतेरिति० ३११४. «««
देहाग्तरकी प्राप्तिमें प्राण जीवफे साथ गहीं जाते हैं [पूर्वपक्ष]
उक्त पृर्षपक्षला सण्हन [सिद्धान्त]... दे
सूत--प्रथमेडभ्रवणादिति चेज़्० ३३११५. ..«
“वश्वम्यामाहु तायापः पुरुपबचसो भवन्ति! इसका निधोरण फिस
प्रऊार है ? [पृर्वपक्ष] ४ ब्क
पक्त शक्काझा सण्डन. .. 4
पैदिकप्रयोग दर्शनसे श्रद्धाशद जछका बाचक है...
सृत्र--अथुतत्वादिति चेप्तेशद्० ३॥१।॥॥६ «««
जीव परिवेष्टित नहीं जाता है [अन्य पूर्वपक्ष]
उक्त पूर्वपक्षका पण्डन *४- 3०४
सूत्र--भाक याध्नात्मवित्त्वात्तयादि दर्शयति ३३११७
ते घन्द्रं प्राप्प भ्रन्न॑ मवनति! इस श्रुतिसे प्रतिपादित इष्टादि-
कारियोमें जो अन्नत्व है वह भाक्त है बन
“अनामविच्वाचथादि दृर्शयति! इसकी जन्य व्याख्या
छत्तात्ययापिकरण है 81२८-३१ १ [ ए० १६४७-१६६९ ]
द्वितीय भधिकरणका सार ब्ड्ह ब्दड
सूत्र--श्तात्यये ब्नुशयवान् दृए्स्मृतिभ्यामू० ३३१२८
इश्टादिकारियोंका चन्द्रमण्डलसे प्रत्यवरोह दिखलाकर थे निरनुझय
क्षाते हैं या सानुशय आते हैँ इस प्रकार संशयका कथन
पृष्ठ पै०
१६२१- १
१1६२१ - ८
14६१३ - १
१६२२ - १५
१६२४ - ६
१६२६ - २
१६२९ - १७
१६३०० २
१६३१ - २२
१६३२९ -
१६३२ - २१
१६१३-४२
१६३३-५
१६३४ “ १५
६६१५- २
१६३६ - २
१६३७ - ६
१६३८ न ३०
१६३९ - २
१६३९-५५
1६४२ « ३०
१६४३ - रे
१६४५ - २
१६४७ - ६
१६४७ - १'
१६४८ - २
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