श्रीसूत्र कृताद्म | Shree Kritaadam

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Shree Kritaadam by जवाहिरलाल जी महाराज - Jawahirlal Ji Maharaj

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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दूसरा श्रुतस्कन्ध प्रथम अध्ययन श्र च्‌ ण॑ मणुयाण एगे राया भवह, महयाहिमवतमलयमद्रमहिंवसारे अश्वतविस्ुद्ररायकुलवसप्पसुते निरतररायलक्खण॒विराहयगमगे बहुजणबहुमाणपूइ्ठए सव्वगुण्समिदो खत्तिए भ्ुदिए मुछामिसित्ते भाउपिउसुजाए दयप्पिए सीमकरे सीमधरे खेमकरे खेमघरे मरु- छाया--शके । तेपाष्घ मज्ुुजानाम्‌ एफो राजा मवति मद्दाहिमबन्मलय मन्दरमहेन्द्रसार, . अत्यन्तपिश्ठद्धराजकुलबद्चप्रश्तत, . निरन्तर राजलक्षणपिराजिताड्ाडुर, पहुजनबहुमानपू्जितः, सर्वमुणसमद्ध ' ध्ृत्रिया, प्ुदित।, मूर्घामिपिक्त', माठपिद्सुजात , दयाप्रिया, अन्दपाथ--कोई बुरे सपवाढे दोतेहें (ठेसिं चण मणुपाण पगे शाया भवहट) डइस असुर्प्पों में फ्लोई पुक राजा दोता है । ( महयाहिमवतमसूपमदर महिदिसारे ) बद हिसमबाद मम, मस्दर भौर महेस्द पंत के समाम्‌ सफिमान्‌ झमभवा घलबान्‌ होता है ।( अध्चतबिसुरुरापकुछब्सप्पसूते ) बद र्पन्स झुद्ध राजकुफ के बंध में उत्पन्न होता है। ( मिरतेररायद्रक्समबिराहयगर्मंगे ) सके घड़ और प्रत्यक्ष शबछक्षण्ण से सुशोमित होते हैं।( बहुप्रणबहुमामपृष्ररए 9 उसको बहुत जनों के द्वारा बहुमान के साथ पूजा की जाती है।( सल्दगुणसमिद ) बह समस्त गुणों से परिपृर्ण होगा है (्त्तिए) दा क्षत्रिय यामी साश को प्राप्त होते हुए प्राणियोंका का रक्कक होता है (मुदिप) बद सदा प्रसन्न शइता द (सूदझामिसित्त ) बह राम्याभिपेक किया हुआ होता है ( साठपिडसुजाय्‌ ) वह साता झौर पिता का सुपुन्न दोता ६ ( दयप्पिए ) दइ दपाझु होता है (सीम॑करे सीमधरे) बह प्रजाशों की सुस्पदस्पा के किए मस्पांदा स्पापित करने बाछा और स्कष्यं उस मर््यादा बक्से पासम्म फरमे माझा हवंता है। ( खेमफरे सेमभरे ) वह प्रञाशों का कस्पाण करने बाका भौर 1 सावार्य--का राजा झोता है| एसफे गुण इस प्रफार जानने 'घाहिये-- यह राजा, हिसपानू, मछग, सन्दराचछ था महन्द्र पर्यद के समान वछवानू अमया भनबान्‌ होता है। बह स्वराष्ट्र तथा परराष्ट् के भय से रहित होता दे। एवं वह उववाई सूत्र में फहे हुए राजा के समस्त शुर्णों से सुझोमित झोता है । उस राजा की एफ परिपद्‌ होती है रुसमें आगे कद्टे जाने पाले ः खोग समासदू होते हैं। उम्र जाति वाले शया दनफे पुश्र एवं भोग जाति बाक्े भौर उनके युत्र, ठथा सेनाप्रति और रुनके पृत्र, सेठ, साहुकार, - राजमन्त्री सथा पनके पुत्र आदि उसके परिषद्‌ के समासदू्‌ हे हैं 1




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