तेतली -पुत्र | Taitali Putar
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
36 MB
कुल पष्ठ :
780
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)दि
तेतली-पुत्र १९,
रहे है ? दूसरे जीवों की आत्मा को पीडा पहुंचाना पाप है 1 वे अबोघ हैं तो क्या !
सुख दुःख तो उन्हें भी होता है न ? आपको तिलक जितना रक्त चाहिये और उसके
लिये मूक जानवर पर तलवार चला देना कहां का न्याय है ? बढवाण के राजा पर
डाया जेठा के वचनों का इतना असर हुआ कि उसने अपने राज्य में जानवरो को हिंसा
ही बंद करवा दी । आज भी बढ्वाण में हिसाबंदो कानून का अमल हो रहा है ।
लीवर के इंजेक्शन भी प्राणियो को मार कर बनाये जाते है । जैनियों के
अस्पतालो मे तो उनका उपयोग नही हो रहा है ? दान देने वाले भी कमी कभी
बहाव मे आकर दान दे देते है । वे यह नही सोचते कि में क्या कर रहा हूं ? कही मेरे
दाम से हिंसा को प्रोत्साहन तो नही मिलने जा रहा है ?
आप वोट देने जाते हैं तो यह सोचते है कि मुझे वोट किसको देना चाहिये ?
तब फिर दान देते समय यह क्यो नही सोचते कि में जो दे रहा *ं वह बराबर समझ कर
दे रहा हूं या हिंसा में ही हाथ बंटा रहा हूं ? मै जैन हूं । त्रस जीव की हिंसा का त्यागी
हूं । में हिसा कर नही सकता, करा नही सकता और न अनुमोदन ही कर सकता हूं ।
आपके पहले क्नत मे स्पष्ट निर्देश है कि 'करूं नही कराव् नही, भनसा वायसा कायसा*,
तब फिर आप त्रस जीव की हिंसा में भागीदार कैसे बत सकते है ?
कई लोग बालो के लिये जीवो की हिंसा करते ह॑ । चमरी गाय के वालों से
भगवान पर चामर उडाये जाते हैं । ढोल नगारो का चमडा भी जीवित जानवरो का
होता है । पवित्र स्थानों में भी आज हिंसक वस्तुएं उपयोग मे लो जाती है । यह सब
धर्मका मजाक नही तो कया है ?
सच्चा धर्म तो अहिंसा मय है । वहां पाप को कोई स्थान नही है । लेकिन आज
तो घर्मं के नाम पर झगडे चल रहे ह॑ । भत मतान्तर बहुत बढ़ते जा रहे है ।
सिद्धात कोई समझता नही है । सब अपनी अपनी मनमानी करने में लगे है । ४ और
५ की सम्वत्सरी के लिये झगड रहे है । यह सब धर्म का उपहास नदी तो क्या है ?
कई लोग वंदन पूजन और समारभ के लिये भी हिंसा करते हैं | लडके की
शादी हुई है तो चाय पार्टी तो देनी चाहिये न ? कुछ छोग मद्य मास खिला पिला कर भी
मेहमानों का स्वागत करते है । राजुल की शादी के निमित्त कितने पशु पक्षियों को वाडे
में बांध कर रखा गया था ? यादवों की खातिरदारी के लिये ही तो उन्हे पकड़ कर
लाया गया था । लेकिन जब उन्होने नेमिनाथ को आते हुए देखा तो पुकार कर उठे:-
प्राण बचाओ प्राण बचाओ,
प्रभुजी अमारा प्राण बचाओ।
जान तमारो आदे भले पण
जान अमारा शीदने जलावो । प्राण बचावो ।
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