तेतली -पुत्र | Taitali Putar

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Taitali Putar by रत्नकुमार जैन - Ratnkumar Jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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दि तेतली-पुत्र १९, रहे है ? दूसरे जीवों की आत्मा को पीडा पहुंचाना पाप है 1 वे अबोघ हैं तो क्‍या ! सुख दुःख तो उन्हें भी होता है न ? आपको तिलक जितना रक्त चाहिये और उसके लिये मूक जानवर पर तलवार चला देना कहां का न्याय है ? बढवाण के राजा पर डाया जेठा के वचनों का इतना असर हुआ कि उसने अपने राज्य में जानवरो को हिंसा ही बंद करवा दी । आज भी बढ्वाण में हिसाबंदो कानून का अमल हो रहा है । लीवर के इंजेक्शन भी प्राणियो को मार कर बनाये जाते है । जैनियों के अस्पतालो मे तो उनका उपयोग नही हो रहा है ? दान देने वाले भी कमी कभी बहाव मे आकर दान दे देते है । वे यह नही सोचते कि में क्या कर रहा हूं ? कही मेरे दाम से हिंसा को प्रोत्साहन तो नही मिलने जा रहा है ? आप वोट देने जाते हैं तो यह सोचते है कि मुझे वोट किसको देना चाहिये ? तब फिर दान देते समय यह क्यो नही सोचते कि में जो दे रहा *ं वह बराबर समझ कर दे रहा हूं या हिंसा में ही हाथ बंटा रहा हूं ? मै जैन हूं । त्रस जीव की हिंसा का त्यागी हूं । में हिसा कर नही सकता, करा नही सकता और न अनुमोदन ही कर सकता हूं । आपके पहले क्नत मे स्पष्ट निर्देश है कि 'करूं नही कराव्‌ नही, भनसा वायसा कायसा*, तब फिर आप त्रस जीव की हिंसा में भागीदार कैसे बत सकते है ? कई लोग बालो के लिये जीवो की हिंसा करते ह॑ । चमरी गाय के वालों से भगवान पर चामर उडाये जाते हैं । ढोल नगारो का चमडा भी जीवित जानवरो का होता है । पवित्र स्थानों में भी आज हिंसक वस्तुएं उपयोग मे लो जाती है । यह सब धर्मका मजाक नही तो कया है ? सच्चा धर्म तो अहिंसा मय है । वहां पाप को कोई स्थान नही है । लेकिन आज तो घर्मं के नाम पर झगडे चल रहे ह॑ । भत मतान्तर बहुत बढ़ते जा रहे है । सिद्धात कोई समझता नही है । सब अपनी अपनी मनमानी करने में लगे है । ४ और ५ की सम्वत्सरी के लिये झगड रहे है । यह सब धर्म का उपहास नदी तो क्‍या है ? कई लोग वंदन पूजन और समारभ के लिये भी हिंसा करते हैं | लडके की शादी हुई है तो चाय पार्टी तो देनी चाहिये न ? कुछ छोग मद्य मास खिला पिला कर भी मेहमानों का स्वागत करते है । राजुल की शादी के निमित्त कितने पशु पक्षियों को वाडे में बांध कर रखा गया था ? यादवों की खातिरदारी के लिये ही तो उन्हे पकड़ कर लाया गया था । लेकिन जब उन्होने नेमिनाथ को आते हुए देखा तो पुकार कर उठे:- प्राण बचाओ प्राण बचाओ, प्रभुजी अमारा प्राण बचाओ। जान तमारो आदे भले पण जान अमारा शीदने जलावो । प्राण बचावो ।




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