महाभारत भाग - 11 | Mahabharat Bhag - 11

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Mahabharat Bhag - 11  by गंगाप्रसाद शास्त्री - GANGAPRASAD SHASTRI

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(४) बचे ही रहते हैं। महाभारत में सेना से पूर्व उसके तथा राजा ने युद्ध करके वीरमति प्राप्ति को है। भारतीय और योगेगीय युद्ध का यह एक महत् पूर्ण भेद है। महाभारत में आए हुए राजाओं में से बचकर एक भी नहीं निकता और ने अन्त तक कि सीने हथियार ढते। .... महाभारत में न्याय, अन्याय था बल्ायत् की सर्वत्र परीक्षा देखी जा रही है, कहीं भी किसी राजा फे राज्य को निगला नहीं गया, परल्तु आज क्या जन, क्या अंग्रेज, क्या रूस और क्या इटली-सबको राष्यलोलुपता बुरी तरह व्याकुत्त फर रही हे। तैमूरलक् और नादिरशाह की चढ़ाई की चर्चा के दिन गए, जिनमें प्रजा गाजर मूत्ी की तरह व्यर्थ काट दी जादी थी-क सत्र कुछ है पल्तु आज भी प्रजा निश्चित की है और,पोपल के पे - की तरह नहीं, तो केले के पते की परह अवश्य काँप रही ६ । महाभारत की सभ्यता से आज की सभ्यता प्रिज्ञाओ, कि एड ओर विश्वव्याप युद्ध हो रह है, वो दूसरी ओर किसान अपना हा में हत चता रहा है । जब यह वात है, ते फिर भारत न अपना शिर हिमालय के साथ ऊँच| उठाए खड़ा रहेगा । महाभारत के असशक्ष लोगों को एक आप के लोगों को एक विल्स्ी जादूगरी सी हि से > 53. युद्ध ले सिद्ध कर दिया, कि आजकल की उन्नति से भी कहीं चह बढ कर अद्विदा पल का वा। चर वज्ा की सह र था में भारत वह




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