भारत एक है | Bharat Ek Hai

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Bharat Ek Hai  by श्री सीताचरण दीक्षित - Shree Seetacharan Dixit

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ग्रिवन के चढाव-उतार कटे न तीना ने मिलकर भारतीया के जीवन में कुछ एसी मयानक बुराइया पटा कर गे जिनसे हमारा सर्वांगोण पतन ता हुआ ही, साथ ही हम अपने ही समाज और 1 मे एक्नटूसर में अलग होत गए जौर दाहर के लाग हमसे घृणा करने लग और मर असम्य तथा निचल दर्जे के लाग समझने लगे। हमारा अतीत तो मय याही उसका गौरव हमने नहीं खाया उससे चिपंटे रहकर अथघात क्ट्टरता रा अब वम्बन बरवे हम जीवन की प्रेरणा ग्रहय करत २7 । इससे हम जीवित ता रहे परतु नइ और वयानिक' दष्टि अपना नहीं सक । फिर अमहायता के कारण हमम आलस्‍स्य वा विकास हुआ जिसने अक्मष्यता गादगी और तरह तरह की गन्दी भादता को जम दिया और पुप्ट क्िया। कट्टरता के कारण हमारा घामिक सामाजिक और सास्ट्वतिक नेतत्व थर्यितरित और अचानी पड़े-पुजारियां तथा पुरोहितों 4 हाथ म चला गया जियस जावन रण मे सहायता तो मिली किु भावश्यवा विकास में अवराघ उत्पन हुआ। हम छून अछूत, जाति पाति और अनेवा नव सामाजिव प्रयाओ और धामिर पाखडों के छांट-छोट घेंरों मे सिकुड़त चत्रे गए तया स्वामी विवेकान/ठ के क्थनानूसार केवल बटलाई मे भगवान का दधन करन लगे ।' अपने दापा का न देखकर दूसर के दोपा का वा चढाकर देखते में ही हम सायकता मालूम हान लगी, तिसस अपन और पराय लागाक साथ पाथक्य बटता ही चला गया। प्राचीनता क गौरव और बात्मरक्षा क भाव ने स्त्री जातिक प्रति बहुत अत्याचार वराया। वह अश्विसित 'सहज अपावन” परदे म घर वे अ?र वन्‍ट ओर कैवल चूल्टे चचकी स बघी हुई रह गई। उसके उद्धार क लिए आधुनिक वाल म जनक मनी पिया और मदहपिया ने आयाज़ उठाई, परन्तु वास्तविक उद्धार तमी आरम्म हुआ जब महात्मा गराधीं न इस दि में उद्योग शुरू विया। व्यापार भ भो वेइमानी आ गई । लाम या ही वुरी चोज है कित्‌ दरिद्र वा लाभ तो काई मयादा ही नहीं मानता । भारत दरिद्र हो गया घा--घन पिने चुत लोगो के पास रह गया था। वे धनी भी पूरे धम भाव से उस अजित नहीं फरते थ। अतणव उन घनिका को ठग लगे मे शायर दरिद लोगी कोई पाप नहीं सममत थे | अग्रेज़ो के काल मे यह बईमानों खास तोर से बढी। इसका एक कारण यह था वि अभ्ज्ञा न धन का आतठर बहुत वहा दिया। घनिका के प्रति प्रेम भी लोगा व नहीं होता घा--या तो घणा हाता थी, था आतक और ईप्या-द्ेप | फिर, जिनके प्रति प्रेम नही उतक साथ घमसय व्यवहार की आवश्यकता कया




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