हिन्दू जीवन का रहस्य | Hindu Jivan Ka Rahasya

Book Image : हिन्दू जीवन का रहस्य - Hindu Jivan Ka Rahasya

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about भाई परमानन्द - Bhai Paramanada

Add Infomation AboutBhai Paramanada

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
(१३) यन्ही और कांग्रेल को अपने उद्देश्य में सफलता प्राप्त करने के लिये संगठन का दोना अत्यंत छावश्ण्क है । प्रश्न--तो क्या ईिंदू-संगठन से श्रापका झसिप्राय हिंदुओं को मसतमारनों के विल्द्द तैयार करना दै ? उत्तर--नहीं, दिंद-संगठन का यद श्रसिम्राय कभी नहीं हैं। वस्तुत ईिंदुआओं घौर सुसक्षमानों की भलाई दोनों के वलवान्‌ दोने में है । ईिंदुआओं श्रौर सुसक्षमानों के कगड़े का कारण यह है. कि सुसलमानों से कद लोग ऐसे हैं, जा घोडी-सी उत्तेजना मिलने पर लूट-मार के लिये तैयार दो जाने हैं ! हिंदू कमज्ञार ढोने से उनका शिकार चनने हैं । दूसरे सुसलमानों में पने भाइयों के प्रति सद्दाजुभरूति रइने से यड रयडा जंगल की श्राग नी तरद वढकर सारे देश में फेल जाता है। यदि ईिंदू कमज़ोर न रहें, तो रूगदा उठे दी न । लूटना घुरा हैं और लूटनेवाले दोपी हैं; परंतु इसमें बढ़ा झपराध लूटनेवाल्तों का है । निर्वलता का चिह्न हैं । निवंलता से बढ़ा शपराघ संसार में दूसरा नहीं हैं । संगठन द्वारा इस निवक्तता को दूर करके दिदुों और सुललमानों में आद-भाव उत्पन्न करने का यत्र इमारा कलंब्य है प्रश्न--परंतु इस दिचार की सत्यता का प्रमाण क्या है 2 उत्तर--दिंदू-महासना काशी ने अपने निर्णय की भ्रूसिका में यद लिस्ग हैं कि इम अपना यद इटद निश्चय अकट कर देना चाहते हें कि इस देश में सुख, शांति तया स्वराज्य स्थापित करने के लिये भारत में निदास करनेवाली सभी जातियों में पारस्परिक एकता तथा प्रेस- भाव का इृद न्ववंघ न्यापित हो । इसलिये हम दिंदू-मात्र से यड निवेदन बन देना चाइते हैं कि जिस समय वे जाति से संगठन उत्पन्न करने का श्रयन्र करें, तो इस वात का ध्यान रक्‍सें कि उनका प्रयल्न देश-हित के प्रतिकूज्ष तथा झन्याययुक्त न दो ।




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now