जीवन - मरण - रहस्य | Jivan Maran Rahasya

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Jivan Maran Rahasya by ठाकुर प्रसिद्धनारायण सिंह - Thakur Prasidh Narayan Singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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शरीर की भीतरी क्रियाएँ और उनके उद्देश १७ शरीर के श्रत्येक भाग से निकम्मे झंशो को इकट्ठा कर लाती है और फेफड़े, इ द्रियो और त्वचा के छिट्रो द्वारा मल-ख्प मे निकाल देती है। आँख, कान, नाक 'और सुँह से भीतरी सेल निकला करती है । वैसे ही पसीना और देह-बाष्प द्वारा भी त्वचा के छ्विद्रो से मेल निकला करता है। (३) श्वसन-क्रिया-इससे चादर की शुद्ध हवा भीतर फेफड़ों सें जाती है । वहाँ अपने ऑक्सीजन को रूधिर के हवाले कर देती है, श्मौर रुधिर के मल को छाप लेकर निःश्वास द्वारा चाहर निकल आती है । हुवा का छॉक्सीजन रुधिर के साथ सारे शरीर मे भ्रमण करता है, गौर जहाँ श्ञावश्यकता दोती दैं, वहाँ काम से लग जाता है । इसी ऑक्सीजन के साथ घ्धिकांश प्राण शरीर मे प्रदेश करता और संचालित होता है। इसीसे श्वास द्वारा प्राणायाम करके योगी लोग झपने शरीर में प्राण संचय करते हे | यही प्राण शरीर के प्रत्येक 'अंगो से शक्ति का. काम देता है । ड (४) चेदन और कमे-संचालन-किया--यहद नाढ़ी-तंतुआओ द्वारा होती है, जैसा कि ऊपर कह आए है। शरीर के भीतर जितनी क्रियाएँ द्ोतो हैं, सबकी प्रेरक यद्दी क्रिया है। जसे किसी कारखाने मे जाकर देखिए, जहाँ ए जिन द्वारा मशीनें अर्थात्‌ कलें 'चलती हो, तो वद्दों आप पावेंगे कि ए जिन से शक्ति निकालकर 'झनेक यंत्रो में पहुँचाई जाती है, और उन यंत्रो से झानेक काम हुआ करते हैं । वेसे ही इस वेदन और क्मं-




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