अंधेरों का हिसाब | Andheron Ka Hishab

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Andheron Ka Hishab by सर्वेश्वर दयाल सक्सेना - Sarveshwar Dayal Saxena

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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चोनी के वरतनों की तरह हाथ से छिटक कर . या जमीन पर गिर कर, बल्कि-- और जगमगाएँगे हवा के थपेड़े सहु कर मिट्टी के दीयों की तरह्‌ अँधेरों में घिर कर, आप चाहें तो सम सकते है हमें -- ड्वती-बीतती सौ और किसी-- सजे हुए ड्राईग-रूम की खिडकी से सट कर एक तरस-सी महसूस कर नें भले ही-- डूबती साँक को देख कर, लेकिन आपका भरम हर सुबह टूट जाएगा जब फिर निकलेंगे-- हम सूरज की तरह रोशनी का रथ हाँकते और निखर--- सेबर कर, वयोंकि अँधेरों का हिसाव / 25




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