संस्कृत - शब्दार्थ कैास्तुभ | Sanskrit Sabdarth Kaustubh

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Sanskrit Sabdarth Kaustubh by चतुर्वेदी द्वारकाप्रसाद शर्मा - Chturvedi Dwarakaprasad Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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झच + नाश ( १ शकोतिको 3 श्घन- नाश उघ न नाशंन ( बि० ) प्रायश्रिवात्सक । अंक के अस्त में अगले दूसरे झंक के अभिनय पाप दूर करने वाला । की सूचना या आभास जो पात्रों प्वारा दी घघर्म ( वि० ) हंडा। जा गर्म न हे । जाय ।--तंत्र ( न० ) श्रक्कगणित या बीजगणित ध्रघमघंणम ( च० पापनाशक मंत्र विशेष । यह मंत्र विधा +-थघारणें (न० 2 घारणा ( ख्री० वैदिक सन्ध्या में पढ़ा जाता है । 9 चिन्हित । २ किसी पुरुष का पकड़ कर रखने की रीति 1--परिवत ( पु० ) दूसरी ओर उलटना । करबट । २ किसी का अशलिज्ञन करने के लिये करवट बदलना ।--पालिः--पातती (सखी ०) १ आलिंज्जन 1 ९ दायी । घाय ।--पाशः ( पुष ) अक्गणित की विधिविशेव ।--भाजू ( विष ) १ गोद में बैठा हुआ अथवा किसी को ( बच्चे की तरह ) कसर पर रखकर ले जासे हुए । २ सहज इ्पघविषः ( पुर ) सपे । घघशंसः (५० ) दुष्ट मनुष्य यथा चार आदि | झघरशंसिग ( बि० ) मुज़बर । दूसरे के पाप कर्म या जुर्म की ( अधिकारीवर्ग के ) सूचना देने वाला । घायु+ (पुल) पापदणी । जिसका जीवन पापसय हे । घोर ( वि० ) जा भयानक न है ।--रः ( पुर 2 बससिििफपण शिव । मद्दादेव ।--पथः --मागे ( घु० ) शैव । में बराप्त । समीपवर्ती । शीघ्र श्राप्व्य ।--मुखं या शिवपंधी ।--प्रमाशं ( न० ). मयडूर शपथ या -झास्य ( न० ) किसी नाटक का वह स्थल परीक्षा जिसमें उस नाटक के सब इश्यों का खुलासा घोर ( खी० ) भाइमास के कृष्ण पन्न की १ ४शी | किया गया हो ।--चिधा ( ख्री० )गणितशाख्र । इस तिथि के शिव जी की पुजा की जाती है । | शैकनस झ्ज्जनम्‌ ( न० ) १ चिन्ह । चिन्हानी । इसीसे इसका नाम अधारा पढ़ा है । २ चिन्हित करने की क्रिया । धो सम्बोधनवाची अध्यय | झंकतिः श्रुति ( पु० ) १ पवन । २ झस्ि। ३ घ्ाघोष ही चि० है प्लुखस्वर (---पः (३ पु० 0 व्यक्ञन घटा । ४ अभ्निहात्री ब्राह्मण | चारों में से किसी का प्लुत स्वर । घ्ौकुट। अडूटः हू पु ) चाबी ताली 1 झप्न्यः ( पु० ) प्रजापति । पव॑त । ( वि० ) मारने के | झंकुर झडुर (पुन ) १ अँखुआ । सवोस्धिद | गास | झयोस्य -- ्स्या ( स्री० सौरमेयी । गौ जोन | अँगुसा। २ ड्ाभ । करला | कनखा । भारी जाय था जो न सारे । ३ झुकीले चौघड़े दाँत । ( आन ) ४ प्रशाखा । प्रेम ( स० ) 9 सूधने के झसाग्य । २ समदिरा । परजन । सन्तति | £ जल रक्त ७ केश | आराब | रू सूजन । गुमई्ी । धंकू झट ( घा० आत्मने० ) देवासेढ़ां चलना | । ध्ंकुरित हरित ( वि०. ). शँखुआ निकला [अक्षपति---झकयते अ्वयितुं अद्धित] १ चिन्दित ... हां । उगो हुआ । जमा हुआ । करना । सिशानि लगाना । २ गणना करना | अंकुशः झडशः १ कॉँटा विशेष जिससे हश्थी हाँका हे ३. कलक्तित करना । दागी करता ४ चलना । जाता. है। र रोक | थाम ।--अहः ( पु० जाना । सगे चलना । ... महावत | हाथी चलाने बाद्य ।--दुधरा ( पु० ) घेंका श्र | पु न० ) 9 सोदी। करोड । २ चिन्ह । .... सतवाला हाथी ।--घारिन्‌ ( दु० ) दाथी रखने निशान । हर संख्या | ४ पारवे । ओर । तरफ़ । £ ं वाला अथवा जिसके पास हाथी हो सासीप्य । पहुँच ६ नादक का एक सांग । ७ कौँटा । मैकूषः बड़ देखो अज्डुश कॉरेदार चौज़ार । दस अ्रकार के रूपकें में से शकोठ अंकाठः अंकेालः ध्ह्ोटा ध्ह्ोठा एक । £ टेढ़ी रेखा । रेखा ।-श्घतारा शो ( पु० ) पिश्ते का पेड़ । (नयड्ाबतार) (पु०) किसी नाटक के किसी एक | छंकालिका झडोस्तिका ( खी० ) आाखिज्ञन




User Reviews

  • rakesh jain

    at 2020-12-04 13:34:21
    Rated : 8 out of 10 stars.
    THE CATEGORY OF THIS BOOK MAY BE REFERENCE BOOKS, EDUCATIONAL/OTHERS, LANGUAGE/SANSKRIT. ONE MORE CATEGORY HEAD SHOULD BE OPENED IN NAME OF DICTIONARIES. UNDER THIS HEAD SUB HEADS SHOULD BE OPENED LIKE - HINDI, SANSKRIT, MARATHI, GUJRATHI AND OTHERS. THIS BOOK MAY ALSO BE PLACED UNDER DICTIONARIES/SANSKRIT.
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