प्राचीन - लेख - मणि - माला भाग - 1 | Prachin - Lekh - Mani - Mala Bhag - 1

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ए६ ) (७४ ) बि० सं० ११४८-ए० इ० भागरपृष्ठ२३७तथा आ० स० ३० भाग २० | कन्छप्रघाट महाराजाधिराज विक्रममिंह का दुबकुन्द में प्लिछाझेख जिसे शान्तिपेण के पुत्र विजपकरीर्ति ने सड्डूलित किया | कच्छपघाट थरैश् में युवराज, उसका पुत्र अर्जुन नो ( चन्देल्ल ) विद्याथर का सहायक था और जिसने ( कन्नौज के ) राज्यपाल को युद्ध में मारा, उसका पुत्र अभिमन्यु ( जो भोज का समकालीन था ) उसका पुत्र विजपपाल, उसका पूत्र त्रिकमर्सिह । (४३९) वि० से० ११४८-०० इ० जाग १ पृष्ठ ३१७ | चौडक्य महाराजाधिराम कर्णदेव नेलोक्यमछ का सूनक में दानपत्र जो अण- हिल्लपाटक में दिया गया था | (७६ ) बि० से० ११५०-३० ए० माग १९ पृष्ठ ३६ तथा प्रा० ले० मा० भाग १ पृष्ठ ८१ | कच्छपघाट महिपाल्डेव का ग्वाकियर में साप्तबहू के मन्दिर में शिलालेख जिसे राम के पौत्र तथा गोविन्द के पुत्र मणिकण्ठ ने सट्टूलित किया | कबच्छपधाट ( कच्छपारि ) बज्ञ में लक्ष्मण, उसका पुत्र बह्दामन (निप्तने गाघिनगर अर्थात कन्नौज के अनुशासक्र को पराजित किया और गोपाद्वि अथीत सालियर की विजय किया) मद्लूलराज, कीर्तिंराज, उसका पुत्र मूल्देव जिस भुगनपाल और ज्रैलेक्पमछ भी कहते हैँ और जिमने देवता से ब्रिताह क्रिया, उनका पुत्र देवपाल, उमका पुत्र पद्मपाछ, जिप्तका उत्तराधिकारी महीपाल भुदनेकमलछ हुआ जो कि सूर्यपाल का पुत्र था परन्तु जो पत्मपाछ का भाई कहा गया है | (७७) वि सं० ११८२-आश्प०३ृ० भा०२०पुष्ठट १०३ | दुव- कुण्ड के जैनस्तूप का सिद्ालेख |




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