आत्मास्वरुप विज्ञानोंपनिषत् | Atmaswaroop Vigyanopnishat Namak Khand-i

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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संश्षिप्तविषयसूची प-पोड्शकल अम्ृतत्रह्म -अमृतात्मखरूपपरिचय! श्र भकरणोपसंदार समाप्ता चेय॑ २३ प्रिच्छेदात्मिका-- श्रम्नतात्मविज्ञानोपनिपत्‌! थमा (१) बना र्‌ जन -अ्रव्यक्तात्मविज्ञानोपनिषत्‌ू-द्वितीया (२) क->अव्यक्तात्मस्तुति ख--म्रद्म क्री विकारसष्टि ग-बाढ,भय श्रव्यक्तात्मा ध--अव्यक्वात्मा के तीन विवर्त्त ढ--नियतिलं क्षण “अन्तर्य्यामी' -च--ऋतसत्यलक्षण 'पत्रात्मा' छू--उपलब्धिलक्षण 'वेदात्मा' ज--त्रि:सत्यप्रजापति आऋ--तरित्वप्रवर्तक प्रव्यक्षत्मा अ--अव्यक्तात्मा का प्रकृतिभाव ट--प्रकरणोप्रसंदार हा समाप्ता चेयं ११ परिच्छेद्रात्मिका- “अव्यक्तात्मविज्ञानोपनिषत्‌'-श्तिया (२) >++र२५-- -यज्ञात्मविज्ञानोपनिषत्‌-क्षती या [३] क--यज्ञात्मस्तुति: ख--पारमेप्ख्यतत्त्वपरिचय गर--अदः, इढूँ-विवत्तें ११ १४६ १४६ 3४१-१७८ १५१ श्शर श्श्व १४६ १६६ १६८ श्जर २७४ 4३७५ 4७३ १७६-२०६ १७६ १5१ श्ड३




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