रातों जगी कथाएँ | Raton Jagi Kathaen
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
254
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)गले लगने का सुख 25
- धन्यवाद, सिस्टर ! श्याम बाबू ने वे कागजात अपनो जेब के हवाले
कर लिए । अस्पताल से वे गेट की ओर चल दिये । एक टैक्सी भे बैठ कर
वे सभी अपने घर चले आए ।
राहुल को घर आए हुए दो-तोन दिन ही हुए थे | गोपा ने भी ऑफिस
सै इृटटिया ले ली थीं | दोनो सास-बहू राहुल की हो सेवा शुश्रूपा म लगी हुईं
।
नित्य की भाँति महरी भी आ गई 1 छूटते ही उसने पूछा, “राहुल बाबू
अब कैसे हैं ?
मै - पहले से कुछ ठोक है । उन्होने बताया, “सिर पर दो-तीन टाके
आए हैं ।!
- भगवान का शुक्र है । महरी किचेन की ओर चल दी 1 वे भो उसी
के पीछे-पीछ चल दीं । उन्होने महरी से पूछा, “तेरी बहू आई कि नहीं ?!!
- नहीं बीबीजी । बर्तन मलती हुई अनारो उदास हो आई, “हमारा
विनोद ता हमसे न््याए भी हो गया है 1”
- ओरे । गोषा के मुह से निकल पडा )
- हाँ बीबीजी । महरी ने गहरा उच्छवास भरा, “इन दिनो तो वे दोनो
आकाश मे तैर रहे हैं । पर कभी-न-कभी तो 10
- हाँ री ) वे बेटे के लिये चूल्हे पर हलुवा घोटने लगीं, ““पखेरू
भी तो नीचे आकर ही घोसला बनाया करते हैं न 1!”
- लेकिन बीबीजी.। महरी बर्तन पोछने लगी, “माँ का दिल कुछ
और ही हुआ करे है ।”
- हाँ, सो तो है ही । उन्होने भी उसी का समर्थन कर दिया, “' आजकल
के छोकरे माँ को ममता कया जाने !/'
काम समाप्त होने पर महरी किसी और घर की आर चल दी । व॑
ते बना चुकी थीं । बहू क॑ साथ वे बंटे कां पूछ-पूछ कर हलुवा खिलाने
लगीं ।
- माँ ! राहुल ने खाली हो आई प्लेट माँ का थमा दी “कहीं तुम
मुझसे नाराज तो नहीं हो 7!
- नहीं रे । वे पूरी तरह से भर आईं । “माँ भी कभी बेटे से नाराज
हुआ करती है ?!!
- मेरी अच्छी माँ । राहुल ने उनके गले मे बाहे डाल दी ।
ऐसे मे वे और भी भर आईं । आँखे थीं कि खाली होने का नाम
ही नहीं ले पा रही थीं । जब वे खूब बरस गईं तो उनका हाथ बंटे के कंधे
अय। जा लगा, “तुम नहीं समझोगे, पगले। माँ त्तो मोमबत्ती हुआ करती है ।
भजत्ती ।'
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