श्री जैन सिद्धान्त बोल संग्रह भाग - 5 | Shri Jain Siddhant Bol Sangrah Bhag - 5
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
483
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)बोल न०
००० चार पुत्रणधुओं की
(२१)
क्रथा ४४२
भगवान् मट्लिनाथ
की कथा ४४४
जिनपाल और जिन-
रक्त की कथा ४५३
चन्द्रमा का टेट्टान्त घछुण६्
दावद्र॒व काइष्टान्त. ४५७
पुद्गलों के शुभाशुभ
परिणाम ४५८
ननन््दमशियार को कथा४३०
तेतल्ीपुत्र कः फथा ४६९२ ,
नन्दी फल का दृष्टान्त ४ द्ड
ओऔकृष्ण का अपरकका
गमन ४६६
अश्वो का दृधान्त ४६५ |
सुसुमा और चिलाती
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पुत्र॒की कथा ४७०
पुए्डरीक और कुएड-
शरीक की कथा छ्७२
परिशिष्ट ४७५ ,
चौतीस अस्वाध्याय का ।
स्ेया (परिशिष्ट)। ४०५ |
दृशवैकालिक अ० नो
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उ० रेकी गाथाए... ४७६
उत्तराध्ययन अ० बीस
की गाथाएँ छ्७ड७
दशवैकालिक दूसरी
चघूलिका की गाथाए. ४७८
उत्तराध्ययन अध्य०
पन्द्रह की गाथाए.. ४८०
आचाराग श्रुत्स्क घ
१ आ०९ ४०२ की
गायाए ४८१
दशवैकालिक 'अ० नौ
उ० की गाथाए... ४८२
आचाराग श्रुतस्फन्ध
१ श्र० ९3०४ की
गाथाए ४८४
उत्तराध्ययन आअ०६ फी
गाथाए ४८५
दशवैकालिक पहली
चुलिका कीगथाए ४८७
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