श्री जैन सिद्धान्त बोल संग्रह भाग - 5 | Shri Jain Siddhant Bol Sangrah Bhag - 5

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Shri Jain Siddhant Bol Sangrah Bhag - 5  by भैरोदान सेठिया - Bhairodan Sethiya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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बोल न० ००० चार पुत्रणधुओं की (२१) क्रथा ४४२ भगवान्‌ मट्लिनाथ की कथा ४४४ जिनपाल और जिन- रक्त की कथा ४५३ चन्द्रमा का टेट्टान्त घछुण६्‌ दावद्र॒व काइष्टान्त. ४५७ पुद्गलों के शुभाशुभ परिणाम ४५८ ननन्‍्दमशियार को कथा४३० तेतल्ीपुत्र कः फथा ४६९२ , नन्‍दी फल का दृष्टान्त ४ द्ड ओऔकृष्ण का अपरकका गमन ४६६ अश्वो का दृधान्त ४६५ | सुसुमा और चिलाती । । । 1 | । |] | पुत्र॒की कथा ४७० पुए्डरीक और कुएड- शरीक की कथा छ्७२ परिशिष्ट ४७५ , चौतीस अस्वाध्याय का । स्ेया (परिशिष्ट)। ४०५ | दृशवैकालिक अ० नो की ड है पृष्ठ योल न० प्र उ० रेकी गाथाए... ४७६ उत्तराध्ययन अ० बीस की गाथाएँ छ्७ड७ दशवैकालिक दूसरी चघूलिका की गाथाए. ४७८ उत्तराध्ययन अध्य० पन्द्रह की गाथाए.. ४८० आचाराग श्रुत्स्क घ १ आ०९ ४०२ की गायाए ४८१ दशवैकालिक 'अ० नौ उ० की गाथाए... ४८२ आचाराग श्रुतस्फन्ध १ श्र० ९3०४ की गाथाए ४८४ उत्तराध्ययन आअ०६ फी गाथाए ४८५ दशवैकालिक पहली चुलिका कीगथाए ४८७ ज्जम्प्2फच्टजी




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