धर्म तुलनात्मक दृष्टि में | Dharm Tulanatmak Drishti Men

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Dharm Tulanatmak Drishti Men  by राधाकृष्णन - Radha Krishan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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है आ बम श्ष है ल्‍ः छू धोड़ेसे ऐतिहासिक प्रश्ंग भी प्रस्तुत दिए जा सकते हैं। बैंदिक गिषारकों ने बोपदा की थी “मगुप्य उस इस मित्र बदल प्रम्ति कहकर पुकारते हैं ऋषि उसके प्रनेक शाम बताते हैं जोड़ि बस्तुत; एक है । याफिर ऋषि लोग प्रपने मर्जों में उसे प्रधेक रूप देते हैं थो केदम्‌ एक है।” मगवद्गीता के रचपिता ते गुद (कृष्ण) के मुणत से कहसवाया है 'हे दुस्ठी के पृष थो सोग प्रम्य देगताधो की पूणा करते हैं पोर धदापूर्षक उतहें मेंट बढ़ाते हैं, के मी भरतुत' 2 मेंट बढ़ाते हैं वद्चपि महू भेंट विधिप्रर्ष क सही होती ।” बौठ शोगों का प्रापन्‍्रह भी ऐसी ध्वनि पर है। मातभीय सम्मता कै इतिहास के इतने प्रारम्मिक काल मे झध्तोक का धिम्तासेप सचमुच्द ध्याह दैने मोम्य है। मी प्रियदर्शी सब| सम्पायोँ, साथुपरों पर गुहुस्दी का भारर करते हैं। बे उपहारों हारा ता बिबिब प्रकार की ह्षपाभों हार उनका सम्मान करते हैं। 'जयोकि दा शक पर पे समय पा पर सता ह 1 ह सफाया कैबल घपने सम्प्रदाय से पूर्ष प्रदुराग है दाएस प्रन्य सम्प्रदाशों की विस्द्ा करते हुए पते सम्प्रदाय का भादर करता है,,जिससे उसके धपने रण फल सगत भप पा शटा+ ज पराई अर पत्ता का मौए्न बडे बह भराचरंध हारा स्वेय प्रपे सम्प्रदाय पर क्र /* इसी धरकार प्रीक लोगोत (एम्वन्नह्टी) के सिद्ास्व का इस कप में जिगास किया था कि बहू भुष्य भौर प्रकृति में कार्मभीक्ष ईगीय तर्क है। पर्म द्री नीमश भा जूस प्रम्तर्शासी सोगोस को बतापा थया है। ईसर्टियस के प्राएम्मिक ददिशों में इस घारंधा से बहुत महत्त्वपूर्ण प्रभाव डाप्ता। धर्म ममुर्ष्यों की प्रश्पक जाति में प्रन्दर स्थापित लोमोस के बीज क्री उपय हैं। अस्टित दि मार्टर (ईस्दी सद्‌ १४ ) की दृष्टि बे छोप करो शोगोस है साप गिजास करते थ॑ ईसा से पहले विद्यमान ईसाई थे द्वाांढि उस यु कै भूसापा रबारी (कंहार्मेटसिस्ट) सोद घुकुषत झौर हेरापबीटप जे १ पडिपास्स ऋ/क अधोक विगसेश्ट रितिद 'झशोढ़ (१३ ६) ९९ १७१ ।




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