नारद संहिता | Narad Sanhita
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8.41 MB
कुल पष्ठ :
320
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भाषारीकास ०-भ ० २. (पशु)
होती हैं और चेत्रशुक्का मतिपदाकों जो वार होता हे वह वर्षेका
राजा कहढाता है ॥ 3 ॥
मेषसंक्रांतिवारिशो भगेत्सोधपि च भूपातिः ॥
ककंटस्य तु वारेशी सस्येशस्तत्फलं ततः ॥ २ ॥
और मेषकी संक्रांतिको जो वार होवे वह सेनापति होताहे ककें
की मंक्रांतिको जो वार हो वह सस्पपति होताहे ॥। २ ॥
तुलारसंक्रांतिवारेशो रसानामधिपः स्मृतः ॥
मकराधिपतिः साक्षा्नीरसस्प पतिः कमात् ॥ डे ॥
तुठाकी संकांतिका वार रमेश होताहे और मकरकी
संक्रांति का जो वार होवे वह नीरसेश अत सुव्ण आदि धातु-
ओंका तथा चखादिकोंका पति होता है ॥ ३ ॥
अष्देखरश्वमूपो वा सस्येशो वा दिवाकरः ॥
तस्मिन्नब्रे ृपक्रोघः स्वल्पसस्यायेवृष्टिकृत ॥ ४ ॥
वषपति ( राजा ) वा सेनापति ( मंत्री ) अथवा सस्येश स॒ये हो
तो उस वषेमें राजआंकों को रहे थोड़ी खेती हो अन्नका भाव
महंगा रहे वर्षा थोड़ी होवे ॥ ४ ॥
अष्देवरश्वमपो वा सस्येशो वा निशाकरः ॥
तस्मिनब्दे करोति कमां परणी शालिफलेशुमिः ॥ ५ ॥
वषपति वा सेनापति तथा सस्पपति चंद्रमा होय तो उस्वर्
में गेहूं चौवल आदि धान्य तथा इंख आदि से भरपूर परथ्वी
होवे ॥ १ ॥।
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