श्री पुराणसंहिता | Shri Purana Samhita

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Shri Purana Samhita by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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॥ शीपुरवोत्तमाय छष्णाय नम ॥ श्रीमहपा यनप्रणीता ऋ#चौॉनिक उवाच-- सूत सूत महामाग त्वया भगवता सता | व्यासमसादाधिगतधाखससम्बोधनेन च ॥ १ ॥ अष्टाद्शपुराणानि सातिहासानि चानघ । उपक्रमोपसंहारविधिनोक्तानि कृत्स्नदा। ॥ ९ ॥। चतुदशसदखें तु मात्र प्रोक्ततिस्फूट मू । तत्तख्याक भांवष्य च श्राक्त पचयुताघिकम ॥ है॥ माकण्डेय महारमण्य॑ प्रोक्तें नवसइस्रकस । अथ बागवर्त दिव्यम्रादशसइस्रकम ॥ '४ ॥ शतोत्तर च ब्रह्माण्ड सूय॑संख्यासइख्कम । कथित. ब्रह्मवेवतेम्टादबासइस्रकमू ॥ ५ ॥ सदस्राणि ददोवाक्त पुराण ब्रह्मनामकम । अयुतइढोकघटित पुराण वापनाणिधसम ॥ ६ ॥ तथेवायुतसंख्याकं पद्चताधिकमानिकम्‌ । श्रयोदिंशतिसाइख॑ देष्णवं समुदाहतस्‌ ॥ ७ ॥। पंचर्बिदातिसाइस्र नारदीयपुदाहतम । रुट्रसख्यासइखाणि प्रोक्त लिंगारूयपद्चुतम ॥८॥। एकोनबविंशलाइखें.... वेनतेयसुदाइतमू । सहसपंचपंचादात्‌ पाथ्यम्प्रोक्क॑ सुविस्तरमु ॥ ९ ॥ सप्तदयासइस्राणि झूम मोक्त मनोहरमू | # छवित्‌ “'शोनकादिऋषय ऊ्चुः* इति पाठ । १ पंचपंचाश साइस्ल 'पादं प्रोक्तं खुविस्तरमूर इत्यपि पाठ ।




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