कुण्डलिया | Kundaliya
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
610 KB
कुल पष्ठ :
132
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)कुण्टलियानग० । (२७)
प्वहारी जो होय तऊ तन मन घन दन॥«६।॥
४5 घोड़े आउततदि गदहइन आये राज ।
गआ लीन हाथर्भे इरिफीमियेयाज ॥
रिकीजिये बाज राज पुनि ऐसे भआायो ।
पह कीजिये केद सस््थार गमेराज चढ़ायो ॥
5ह गिरिधर कपिराय जहा यह वृजझि बढाई।
हा न कौन भोर साझ उठि चडिये साई॥५७॥
/ई अवृसरके पड़े कान सह दुसद्वन्द ।
;य पकाने डोमघर वे राजा हरिचन्द ॥
: शाजा हरिचन्द्र कर मरघट रासवारी ।
(रे तप्स्वी वेप् फिरे अजुन बलघारी ॥
_ह गिरिधर काविराय तंपे वृह भीम रसोंई।
शिन करे घटिकाम परे अवसरके साई ॥ ५८ 0॥
उसमे चछे पिदेशकर् कार्ची ठादि कुम्दार ॥
पीकतु वरिनिभई वबादर कीन्होंमार ॥
गदर कीन्होंमार इंते उत कृझु्नाह सुझे ।
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