राजस्थानी व्रतकथाएँ | Rajasthani Vratakathayen
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
14 MB
कुल पष्ठ :
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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काई न छे । सो आज हि मं राज री द्रसण पायो छे सो माहरौ
निसतारो आज थे करी | महें बहुत राजी हुआ म्हानू' सुख हुवौ ।
काया क्हारी बब्य्ती थी, सो सुख हुवों | मांहरी मत भली हुई छे ।
म्द्वानू' सारी खबर पड़ण ढूक गई । सो ब्राह्मण परमेचर छे,
ने रे भलाई दरसण थांहरों पायौं। सो म्हांरौ उद्धार हुसो।
तरे ब्राह्मण बोलियौ-थे किसा पाप कीघा, तिण सूः श्ै प्रेत जोन
पाई, सो थे बताबी । तरे पहलो प्रेत बोलियौ, रहे पंचा देशमैं
पूर्व जन्म ्राह्मण सारियो, एक ब्राह्मण री हित्या ल्ञागी, तिण सू'
प्रेत जोनि पाईं। पे दूसरौ प्रेत बोलियौ, म्हैं गुरू मारियौ थौ,
सो गुरू-ह॒त्या लागी, तिण सू' प्रेत जोनि पाईं। पह्चे तीसरौ प्रेत
बोलियो-हूँ पारकी निद्या हीज करतौ, कूडहीज़् बोलतौ, कूछा
कल्लंक देतो, कूड़ी साख भरतौ, लोकांरी मन भांजतौं, सो तिण
पाप थी जोनि प्रेतरी पाई । - पछ) चोथौ प्रेत बोलियौ, हूं गुरूणी
हमने प्रापके दशशन लाभ किए हैं शत: हुमारी मुक्ति जाप करें । हमें
( आपके द्लनों से ) बड़ी खुशी हुई । हमें बहुत सुख हुआ । हमारी
भात्मा जन रही थी, उस्ते सुख मिला । हमारी चुद्धि स्वच्छ हुई । हमें
प्ब प्रकार का ज्ञान होने लगा है। ग्राप ब्राह्मण परमेश्वर का हूप हैं
हमारा सोमाग्य है जो हमने प्रापके दर्शन किए । पश्रतः हमारा ( झब )
उद्धार होगा ।
ब्राह्मण तव बोला-- पझ्रापने कौन से पाप किए थे, जिससे प्रेत योनि
पझापने प्राप्त की; वह मुझे बतावें । तब पहला प्रेत बोला-मैंने पंचाल
देश में पूर्व जन्म में एक ब्राह्मण को मारा था- एक ब्राह्मण की हत्या
मुझे लगी,उसी कारण प्रेत योनि मुझे प्राप्त हुई । पीछे दूसरा प्रेत बोला-
मैंने गुरू को मारा था, सो गुरु हत्या मुझे लगी, उम्ती कारण प्रेत गोनि
श्रात्त हो सकी । फिर तीध्तरा प्रेत बोला-मैं दूसरे व्यक्तियों की निन्दा ही
“किया करता था, भूठ बोला करता था, भ्ूठे क॒त्ंक दिया करता, भूठी
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