जूना जींवता चितराम | Juna Jeevata Chitaram

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Juna Jeevata Chitaram by मोहनलाल पुरोहित - Mohanlal Purohit

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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कक दर कम नण 2 हथा रे क मौंखी महिथारो भोर रो ठंडी वेढ्ा में भीखी घास-कूस अर छोड़ा वाक्कर भट्ट चेतन फरतो । पेला सरधा सं, ठाकुरजी ने हाथ जौड़तो जिके सं के बैरी रुअगार चोद्दौ चले । भीले री बहू बेर खने मती रे रा बीज, गई, जंवार अर चिणा लाय'र मेलती | भट्ट एक खानी, घर रे आगे चौकी ऊपर ही। खनेई मोकत्ठी खुल्ली जागा ही जिंठै, बैरी बहू आपरी दुकान लगाया करती । चौकी माथे, घास- फूस री एक छपरी छायोड़ी ही, छायां राखण सारू । इंण काम सूं निपट'र, भीख री वहू टावरां ने जगांवती | टावरां रा काछाकुट उशियारा, लुक्खा केस, पासत्रयां दीखे, कई रे माये रे केस इसा फतरियोड़ा जाणे भेड मूंडी जियोड़ी हुये | छोरी रा रींढा विखरियोड़ा अर मैल- परसीण सं चिपियोइा | फेर गृदड़ा सांदती, दावरां ने दिसा बैठांबती, बारां हाथ-मंडा धोंवती अर बासी फूस-बारी काढृती । टात्रर, हरखांवता-इरखांवता, वाप खैन जाय बैठता | बाप किण तरे- , पान सेके है, आ वात, आंख्या गडाय'र देखता । एकनबीजें स॑ आग चैठण सार लड़ण-मगड़ूण लागता, आपस में, एक वीजेरा फेस खांचता अर चंटिया चोड़ता । कामरी चेछा भीख इयारी बदमासी सं उफनर केती-चढछी आधडाई । फर चहू ते हेलो पाइ'र के तो-लेजा थारे कुण कयां ने । मा तड़कर केती-आधथा बढ़ी पीट पढ़ियां अर घींसर मांय ले जोब्ितो । लुक्खा सोगरां रा डुकद्ञ तोइन्तोड'र एक-एक टुकड़ी सगद्ां ने दुँबती | सीराण में लायां वे ओईज मिलते! अर इण स॑ ये राजी हुय जांच्ता।




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