प्रतिवेदन के स्वर | Prativedan Ke Swar

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Book Image : प्रतिवेदन के स्वर  - Prativedan Ke Swar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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रातदिन ताने रातदिन तेवर रातदिन क्चिविय नौजवान पशेप्तो से दौदी का लगाव उसे नहीं था स्वीगार 1 लेक्नि वहु करता कया मूर्ता भौर सलवार मुर्रा शोर गसे का हार जुटा सफना था ध्रात्तान महों । दोनदार, पर यह मजबूर था रोजी कमाने का सलोपा उससे दूर था, देपा था उसने ने भ्रामदत का कोई द्वार 1 उस प्रभागे दिये जागा पग्रधानव उसका भाग योधी की गुप्त ग्राय का जब मिला उसे सुराग गिलद झोर घांदी पे जेवर भूठे मोतियों पे सतलड़ हार, छोंट के कुत्ते, साटन के सलबार, देखता रह गया यह श्रर्िं फाड 1 एक बार शौरत की कमाई में झ्राग लगाने का हुम्नमा विचार पर खानदान की इज्जत का सवाल उसके था भागे, घह चुपचाप था, था यह लाचार ) प्रतिवेदन वे” स्पर ]




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