जब आवेगी | Jab Awegi
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
238
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)[११
2-15 855 1 ्िलपियय
साँवता माली, चोखा भेला मेहार, सेना नाई, जनावाई दासी,
कुर्मदास ब्राह्मण, और न जाने कितने थे वे *
ब्ाहाणए बत्सगोत्री व्यम्बक पत देशाधिकारी था। अकाल
में लोक सेवा भे भ्रपना सब कुछ छुटा बेठा ॥ आपे गाँव में
उसका पुत्र हरिपन्त राजा सिंघण देव वाले युद्ध के वाद नाथ
पथ में दीक्षित हुआ । उसका पुत्र विछलपत संन्यासी होगया
और श्रीपांद स्वामी की झाज्ञा से गृहस्थ घर्म मे लौट झाया ४
उसी की संतान थी यह--निदृत्तिनाथ, ज्ञानेश्वर, सोपानदेव
और घुक्तावाई । उपनयन नही हुआ्आा-समाज से तिरस्क्ृत के
पुत्र थे न ? ब्राह्मणों ने पुन गृहस्थाश्रम में लोटने वाले को
त्याग दिया । विछलपंत और पत्नी रुविमणी ने दुख से
प्रयाग में नदी में क्रृद कर आत्महत्या करली । सिद्ध गैनीनाथ
में बच्चों को संभाला | सिद्ध की करुणा जागी। अब यह
चारो अत्यत प्रसिद्ध थे १
शञानेश्वर ने ब्राह्मणों को योग का गौरव दिखाया, गीता
का भाष्य लिखा ) वे सब तीथें यात्रा पर गये थे ॥ वही मिला
था भागदेव दर्जी झौर वहीं मिले चाँग देव “*
पणढरपुर, उज्जैन, प्रयाग, काशी, गया, भ्रयोध्या, गीौकुल,
वृन्दावन, द्वारका, गिरनार *
वही मिल्ले थे वे कगरनाथ को
यह थी म्रुक्ताबाई । एक बार नगी नहा रही थी। चाँग-
देव ने देखा तो मुह ढक कर लौट चला। मुक्ताबाई ने फढ-
कारा + वृद्ध होगये, आत्मतत्त्व नहीं जाता । स्त्री पुरुष का
व्यक्ति-मेद हैं ही क्या ? चाँगदेव को फिर तत्व बोध
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