संस्कृत - शिक्षा भाग - 1 | Sanskrit - Shiksha Bhag - 1

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Sanskrit - Shiksha Bhag - 1 by कपिलदेव द्विवेदी - Kapildev Dwivedi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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जंभ्यास १1 शब्दावली--अध्यापक---अध्यापक, 108000, अड्भा:---अंक, एछञक्षा/&, अवकाश-झ-झछूड़ी, 10108%, उत्तीर्ण--उत्ती्ण, 9855८0, अनुत्तीर्ण, (16०, उपस्थित:--उपस्थित, छा5४८॥६, अनुपस्थित-अनुपस्थित, ४05८॥॥, परीक्षा--परीक्षा, &इश्ाशाक्षांणा, श्रेणी--कक्षा, 01855, युध्नद-.(_, ५०४, रुच--अच्छा लगना, ६0 1८८, क्रुधू--क्रोध करना, 10 0६ क्षाह9, द्रुह---द्रोह करना, 10 0६% 119102. नियम २०--+चतुर्थी) रुच (अच्छा लगना) अर्थ की धातुओं के साथ चतुर्थी होती है । जैसे--बालकाय मोदकं रोचते--बालक को लड्डू अच्छा लगता है । पुत्राय दुग्धं रोचते । नियम २१---चतुर्थी) क्रध और द्रुह अर्थ की धातुओं के साथ जिसपर क्रोध किया जाय, उसमें चतुर्थी होती « + नैसे--रामः दुर्जनाय क्रुध्यति, दुह्मति वा--राम दुर्जन पर क्रोध करता है | इन वाक्यों को ध्यान से पढ़ो :-- अय॑ विद्यालय: अस्ति । अत्र अध्यापका: छात्रान्‌ पाठयन्ति (पढ़ाते हैं) | अद्य विद्यालये शतं छात्रा: उपस्थिताः सन्ति, दश च अनुपस्थिता: | परीक्षायां सप्ततिः (७०) छात्रा: उत्तीर्णा:, अन्ये च अनुत्तीर्णा: । शिष्याय मोदक॑ रोचते । युष्मद्‌ शब्द के इन विभक्तियों के रूप लिखों :--




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