अर्थविज्ञान और व्याकरणदर्शन | Arthavigyan Aur Vyakaranadarshan

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Arthavigyan Aur Vyakaranadarshan by कपिलदेव द्विवेदी - Kapildev Dwivedi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( श्रे >) शब्दन्् का झाभय चाइदा दे । कुमारिल मड के शब्दों में श्रन्त मे यदो निवेदन करना है कि व खद्‌ बिदाखेऽनप्डन्दु विचतभेवैः प्रादिभिः । सन्तः प्रयपिवश्यानि श्डन्वि हयनद्पवः श्वागमपरयरेचाहे नापवायः स्वलनपि। न रि सदर््मना पच्छुन्‌ स्वलिवष्दप्पशेयते ॥ ( र्लोकवार्टिक, प्रन्यकार-प्रतिश रलोक ३ और ७)!




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