महर्षि सुकरात | Maharshi Sukarat
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
294
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ११ )
है और जिस प्रणाली के अलुसार उस समय के यूमानी नागारके
शिक्षित दोते थे, वैसी ही शिक्षा तो सुकरात को अवश्य ही
मिछी थी और झायद् इन्हीं राजसभा और न्यायछयों मे
बैठ कर उससे पहले पहले तक-विद्या भी सीसी होगी,
जो कि भविष्य जीवन में उसका मुख्य छक्ष्य और एक मात्र
कार्य्य था। प्रादीन पुस्तकों के पढने का भो उसे बहुत शौंक
था और इसछिये यूनान के असिद्ध प्रसिद्ध माहाकाव्य और
दाशेनिक अभथ उसने सब देस डाले थे । उस समय के प्रचलित
पदार्थ-विज्ञान, गणित और ज्योतिष-जास्त्र से भी उसने साधा
रण जानकारी प्राप्त कर छी थी और पुराने दाशेनिक एस-
क्सागोरस् फे सिद्धातों से भी वह पूर्णतया परिचित था, जिसने
आत्मा को भमर और जन्मातर ग्रहण करनेवाला माना है
पोडीडिया के बुद्ध में अनेक यूनानवासियों की नाई सुकरात
ने भी साधारण सिपाहियों की तरह अस्त्र धारण किया था|
पोटीडिया एथेंस राजघानी की एक अधीनस्थ रियासत थी और
थद्दावालों के विद्रोह सडा करने घर एथेसवासी उसके द्म-
नार्थ भेजे गए थे जिनमे हमारा चरित्रनायक भी चाढीस
वर्ष की उमर में हाथ में तलवार छे कर गया था
और युद्धभनाम के सारे फष्टों को बड़ी घीरता से सदन कर
उसने अपने अन्य साथियों को चकित और विस्मित कर
दिया था | जप फि वहाँ अत्यधिक शीत पढ़ता था और
अन्य सिपादी सब अबड़ें जाते थे सुकरात श्षुघा तृष्णा से
पीड़ित होने पर भी शीत की कुछ परवाद्द न कर अपने स्थान
पर डटा रहता था और इसी मौके पर अपने एक साथी
के
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