संस्कृति और साहित्य | Sanskrati Aur Sahitya
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
316
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)आधुनिक हिन्दी सत्ता रु
है साय युग में सन साहित्यिशां हा श्रमात्र नह्या रहा | कुछ
पाश्चात्य देशां की झपतना सारतवर्प मे साययुग थव्रिक दिना तक
रहा, ततमा चारिए मि दमा तर है, परादु मध्ययुग ऊ जैसे यशल्वा
कपि हिल््टां में हाए, बेस बहुत कम सापाया एे मायजालीन साहिक्ता
मे हुए द्ग । मारे सायने-सममने के लिए इन कयिया मे मा पहुत
उठ है। विशेषकर तुलसा का माँति सत स्िया तथा भरूधण जा
भाँति यार फप्रिया में भाषा या यद्द हसापन है, ता हेस झमा तय
अपने काय की भाषा में नहीं उत्पन कर सऊ | हमारी कपिता की
ग्रापा उन किया का बाणी का माँति जनता के उठ में नहां उसोव।
परतु वह भा स्मरश रखना चाहिए कि &्मारे युग कीं आयु अभी
३० ३४ वर्ष जा दा है तथा इस घुग मे रविता पे सतिरिक्त साहित्य
के थ्न््य झगा का भा पिकास हुग्रा है । आउनिक उयिता जा प्रगति
को देखते हुए ?म कट्ट सफ़्ते हैं कि जय दसारे देश म प्रय रद
आधुनिक युग श्रायया और हम थ्रय उनते देशा के साथ कघा
मिलासर चल सऊेंगे, तय इसारे मयरालान साहित्य या भाँति
इमारा आधुनिक साहित्य भी विश्व में जाउनित साहित्य म॑ श्रायतम
स्थान पा सकेगा 1
इस युग का हिदा उप्िता में दा प्रजान घाराए रहा है 1 एफ ता
ला मेंथलीशरण गुम तथा इरिद्राघता पाली पुराना परिपाठा का तथा
दूसरी ग्रमाद और पततायाली छाय्रायादी प्रशाली की । इसके पश्चात्
एर मर धारा आजकल धारे घारे उन रही है, जिसे श्रमी प्रगतिशील
कर लत हं। रन धायआ ये हिन्द भाषा तथा सारित्य को पुष्ट कथा
है। पद व उभो-क्मा एक दूसरे जा रिरोध करती टिसासी देता हैं,
परतु उहाने अनेक अज्ार से माय का व्यतना-शक्ति का यटाया
ई अ्धया कपि मना या अधार दिया है। इन घाराशं के परले
जा सारित्य की परम्परा स्थापित दवा चुकी थी अथवा द्वा रह्ा थी, वह
User Reviews
No Reviews | Add Yours...