श्री सूत्रकृतंज्ञ सुत्रम् | Shri Sutrakrutang Sutram Part -7
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
38 MB
कुल पष्ठ :
744
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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२४ शंकितधरम और अशंकित धर्म की भिन्नता का कथन
२५ अल्ञानि पुरुषको अप्राप्तयदार्थ का निरूपण
२६ अज्ञानियोंके दोपों का निरूपण
२७ अज्ञानवादियों के मतका निरसन
२८ अन्नानवादियों का मत दिखाते हुए सत्रकार
म्लेज्छके चृष्ठान्त का कथन करते हैं
' २९ इष्ठान्त का कथन करके सिद्धांतका ग्रतिपादन
३० अज्ञानवादियों के मत के दोपदशेन
३१ ये अज्ञानवादी अपने को या अन्यको
बोधदेनेमें सम नहीं होने का दृष्ठान्त के द्वारा कथन
३२ अज्ञानवादियों के विषयमें अन्य दृष्ठान्तका कथन
३३ दृष्हान्त कहकर दाष्टॉन्तिक-सिद्धांतका प्रतिपादन
३४ फिरसे अज्ञानवादिके मतका दोपदशन
३५ अज्ञानवादियों को होनेवाले अनथेका निरूपण
३६ एकान्तवादियोंके मत का दोष कथन
३७ क्रियावादियोंके मत का निरूपण
३८ क्रियाबादियों के कम रहितपना
३९ ग्रकारान्तर से कमबन्ध का निरूपण
४० कमबन्ध के विषयमें पितापुत्र का दृष्शान्त
४१ कर्मबन्ध के विषयमें आहेत मतका कथन
४२ ये क्रियावादियों के अनथ परंपरा का निरूपण
४३ क्रियावादीयों के मत का अनथ दिखानेमें नोकाका इशन्त
४४ रुष्टान्त के द्वारा सिद्धान्तका ग्रतिपादन
तीसरा उर्देश--
४५ मिथ्यादृष्टियों के आचारदोषका कथन
४६ आधाकर्मी आदि आहार को छेनेवालेके विषयमें मत्स्य का
द्रष्ठान्त---
४७ दृष्ठान्व कहकर सिद्धांत का प्रतिपादन
४८ जगत् की उत्पत्ती के विषयमें मतान्तर का निरूपण
४७९ देवकृत जगद्वादियों के मतका निरसन
२९०-२९१
२९२-२९४
२९४-२५९५
२९६-२९७
२९५८-२९ ९
२९९-३० २
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३४१-३४२
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३४९-३५१
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