हठयोगप्रदीपिका | Hathayogapradipika
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
55 MB
कुल पष्ठ :
232
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रस्तावना.
देखो | इस असाश्संसारसे मोज्ञके श्र्थ तथा क्वव॑सनोगत अभीष्ठ
सिद्धिद योगविषयमें हृठविद्या है जो प्राशियोंके दिप्तार्थ यो गिराज शिव-
जीने पारवतीके प्रति महाकाल योगशाखमें वर्णन की है,उसी दृठविद्याका
सेवन करके ब्रह्माजी ब्रद्मपदको प्राप्त हुए हे, श्रीकृष्णचन्द्रद्दीने गीतामें
ग्रझुनको और श्रीमद्धागवतमें उद्धवकों उपदेश किया है | प्रायः ब्द्मा,
विष्णु, महेश, नारद; याज्ञवस्क्य इन सभीने इसका संबन किया है.
मत्स्येद्धनाथ और गोरखनाथजाने प्रथम शिवजीसे इठयोग श्रवण किया,
इन्हीं गोरखनाथजीकी कृपासे स्वात्मारामयोगीद्धने सर्व मुसक्षुओंके
मोक्षप्राप्यर्थ “हठयोगप्रडीपिका” नामक ग्रन्थ चार उपदेशोंमें रचित
किया, प्रथमोपदेशमें यम, नियम सहित हठझा प्रथमभाग भासन,द्धि ती-
योपदेशमें प्राणायामप्रकरण, तृतीयोपदैशमें मुद्गराप्रकरण, चतुर्थोंपदेशमें
शत्याह्रादिरूप समाधिक्रम वर्णन किये दें, उक्त ग्रग्थ “ज्योतस्ना''नामकू-
सैस्कृतदीका सद्बिततथा सर्व झुम्क्षुओंके लाभाथ इमने पं. मिहिरचनद्र-
जीके द्वारा याथातथ्य भाषादीका भी कुद्राकर स्वच्छृतापूर्वक छापके
प्रकाशित किया है।.._ /<)/ 2) (_ स्
आशा है कि, सर्वसज्जन इंसके द्वारा हृठयोगका रहरुप जानकर लाभ
उठावेंगे भौर हमारे परिश्रश्नको सफल करेंगे ।
आपका कृपाकांक्षी--
खेमराज श्रीकृष्णदास,
अध्यक्ष “श्रीवेड्टेवर” स्टीम-पेस- मुम्बर.
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