साक्षी रहना तुम | Shakshi Rahana Tum
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
172
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)तो 7
-मुझे तो ये आसार ठीक नही लग रहे |
-तुम बच्चे हो, बेटे !
-नहीं, अम्मीजान | मुझे तो लगता है, रसकपूर को
कोई छीन लेगा |
-किससे ?
-मुझसे--और--और आपसे ।
-नहीं, बेटे | भला, ऐसा कैसे होगा ?
-मैं सच कह रहा हूँ, अम्मीजान ! मैं चाहता हूँ कि
रसकपूर को मै अपने साथ कहीं दूर ले जाऊँ |
फिर क्या होगा ? ,
-फिर, चैन से तो रह लेंगे, इस भय और आशंका से
दूर ।
नूरी कुछ कहती कि एक लड़की ने आकर चंदन से
कहा- आपको अंदर बुलाया है|
और चंदन भागता सा अंदर चला गया |
रसकपूर पलंग पर लेटी सूनी निगाहों से छत को देख रही
थी।
चंदन ने धीरे से कहा- कभी-कभी छत को टकटकी
लगाकर देखते रहने से छत छाती पर आ गिरती है |
रसकपूर ने उठते हुए कहा- मै क्या करूँ, चंदन | मुझे
बचालो, चंदन |
-तो भाग चलो मेरे साथ | रसकपूर, ज़माना बड़ा
ज़ालिम है | ये तुम्हें मुझसे ज़बर्दस्ती छीन लेगा और किसी अंगी
खाई में फैक देगा |
-ऐसा क्यों सोचते हो ? 5 हे:
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