साक्षी रहना तुम | Shakshi Rahana Tum

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Shakshi Rahana Tum by भगवत शरण - Bhagvat Sharan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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तो 7 -मुझे तो ये आसार ठीक नही लग रहे | -तुम बच्चे हो, बेटे ! -नहीं, अम्मीजान | मुझे तो लगता है, रसकपूर को कोई छीन लेगा | -किससे ? -मुझसे--और--और आपसे । -नहीं, बेटे | भला, ऐसा कैसे होगा ? -मैं सच कह रहा हूँ, अम्मीजान ! मैं चाहता हूँ कि रसकपूर को मै अपने साथ कहीं दूर ले जाऊँ | फिर क्‍या होगा ? , -फिर, चैन से तो रह लेंगे, इस भय और आशंका से दूर । नूरी कुछ कहती कि एक लड़की ने आकर चंदन से कहा- आपको अंदर बुलाया है| और चंदन भागता सा अंदर चला गया | रसकपूर पलंग पर लेटी सूनी निगाहों से छत को देख रही थी। चंदन ने धीरे से कहा- कभी-कभी छत को टकटकी लगाकर देखते रहने से छत छाती पर आ गिरती है | रसकपूर ने उठते हुए कहा- मै क्‍या करूँ, चंदन | मुझे बचालो, चंदन | -तो भाग चलो मेरे साथ | रसकपूर, ज़माना बड़ा ज़ालिम है | ये तुम्हें मुझसे ज़बर्दस्ती छीन लेगा और किसी अंगी खाई में फैक देगा | -ऐसा क्यों सोचते हो ? 5 हे:




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